प्रभु के रंग में जो रंग गया वो भवसागर पार उतर गया।। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—–
रँगाली मैने चुनरी साँवरिया तोरे रंग में ।
गणिका गिद्ध अजामिल रँगायो ,
केवँट रँगा के सजाली चुनरी ,
साँवरिया तोरे रंग में ।
रँगाली मैने चुनरी………..
शबरी अहिल्या हनुमत जी रँगायो ,
शारद शेष रँगाली चुनरी ,
साँवरिया तोरे रंग में ।
रँगाली मैने चुनरी………..
ध्रुव प्रह्लाद सुदामा रँगायो ,
नारद रँगाली रामनामी चुनरी ,
साँवरिया तोरे रंग में ।
रँगाली मैने चुनरी…………
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र