प्रस्तुत है मेरी रचना जिसमें राम नाम की महत्ता को दर्शाया गया है :——-
भजले नाम राम रघुबीरा ।
सुमिरत नाम सुमति चलि आवै,
मिटै दोष दुख पीरा ।
भजले नाम राम…………
नाम के बल हीं काशी में शिव,
देत गती आविनाशी ।
नाम के बल हीं भोलेनाथ जी,
हो गए घट घट बासी ।
प्रभु के नाम सुमिरि शंकर जी,
पी गए जहर गँभीरा ।
भजले नाम राम…………
नाम के बल गणपति जी हो गए,
प्रथम पूज्य जग माहीं ।
नाम सुमिरि के मुनि नारद जी,
देवर्षी कहलाहीं ।
नाम के बल हीं हनूमान जी,
होइ गए महाबीरा ।
भजले नाम राम………….
नाम के बल अनगिनत भक्तजन,
हो गये बैकुंठ वासी ।
नाम तुम्हार अमिय जगजीवन,
कृपासिंधु सुखराशी ।
टेर सुनो अब ब्रह्मेश्वर की,
हृदय न धारे धीरा ।
भजले नाम राम………
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र