प्रभु श्रीराम वनवास समाप्त कर सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या लौट आए। गुरु बशिष्ठ जी, सभी माताएँ, भाई भरत जी और शत्रुघ्न जी तथा सभी प्रजाजन परम आनन्दित हैं। प्रभु प्रेमपूर्वक सभी से मिले। राम विरह रुपी अग्नि मे सभी जल रहे थे पर प्रभु के आजाने से सभी के हृदय शीतल हो गये। प्रभु की नगरी अयोध्या को पूरी तरह सजा दिया गया है, अयोध्या में आनन्द उत्सव मनाया जा रहा है, दिवाली मनाई जा रही है, घर घर आनन्द बधावन बज रहा है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—
देखो सज गइ आज अवध नगरी । बन को छोड़ि राम घर आए , सकल लोक सुख सम्पति छाए , सज गइ देखो नगर गली । देखो सज गइ आज…….. घर घर मंगल साज सजाए , ध्वज तोरन पताक फहराए , घर आँगन गलि चौक पुरी । देखो सज गइ आज…….. लख लख घी के दीप जलाए , रंग रंगोली रुचिर रचाए , बाजत शंख मृदंग भेरी । देखो सज गइ आज…….. अगर कपूर कि बाति जलाए , आरति मंगल थाल सजाए , छाए चहुँ दिशि बेद धुनी । देखो सज गइ आज……..