राजा दशरथ ने जब श्रीराम जी का राज्याभिषेक करने का निश्चय किया तब अवध में उत्सव की तैयारियाँ होने लगीं। घर घर मंगल साज सजाए जाने लगे। घर घर मंगल गीत गाए जाने लगे। पूरे अवध में बधाव बजने लगे। सभी माताओं के हृदय में अपार हर्ष छा रहा है। राजा दशरथ जी बार बार श्रीराम जी को हृदय से लगा रहे हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——
आज अवध में बधावन बाजै । मंगल तिलक साज शुभ साजै ।। आज अवध में……….. राम तिलक आए पावन लगनवाँ , शोर भयो घर द्वार अंँगनवाँ , दशरथ भवनवाँ सुहावन लागै । आज अवध में……….. तीनहु रानी हरष हिय छाए , राजा राम हिय हर्ष लगाए , अन धन बस्त्र लुटावन लागै । आज अवध में……….. घर घर मंगल साज सजल है , अगर कपूर की बाती जलल है , घर घर चौक पुरावन लागै । आज अवध में……….. सब सखियन मिलि मंगल गावैं , सुर नर मुनिजन आरती उतारैं , जय जय शोर मचावन लागै । आज अवध में………..