सीता जी की खोज कर और लंका जला कर हनुमान जी जब प्रभु श्रीराम जी के चरण में उपस्थित हुए तब हनुमान जी से प्रभु ने कहा कि हे हनुमान तुमने लंका को कैसे जला दिया, मैने तो तुम्हें इसकी आज्ञा नहीं दी थी तब हनुमान जी प्रभु से कहते हैं:——-
जब त्रिजटा ने स्वप्न सुनाया, बन्दर आ एक नगर जलाया। जान लिया तब हे स्वामी, त्रिजटा की सुनकर ये बानी। त्रिजटा को निमित्त बना करके, प्रभु ने संदेश पठाया है। हे स्वामी आपकी आज्ञा से, मैंने लंका को जलाया है।