दीनों के नाथ बिनती सुनो मोरि………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

दीनों के नाथ दीनानाथ से मेरी ये विनती मेरी इस रचना के माध्यम से शरणागत भजन के रूप में :—–

दीनों के नाथ बिनती सुनो मोरि ।
उलझ पड़ो हैं जगत जाल में मैं तो ,
राखो प्रभू अब तो आयो शरन तोरि ।
दीनों के नाथ बिनती………..
भायो भजन नाहिं संत मिलन नाहिं ,
दाग लगा बैठो अब तो चुनर कोरि ।
दीनों के नाथ बिनती………..
भ्रम में भ्रमित अब तो बीतो उमर मोरि ,
जाऊँ कहाँ अब मैं तेरो चरन छोड़ि ।
दीनों के नाथ बिनती………..

 

रचनाकार

 
   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र