प्रभु श्रीराम वन से अयोध्या लौट आए हैं। अवधवासियों के आनन्द की सीमा नहीं है। कहते हैं कि हे भैया चौदह वर्ष हम सभी विरह की भयानक आग में जले हैं पर आज हमारे राजा राम जी के लौट आने से हमारे हृदय शीतल हो गए हैं। आनन्द उत्सव मनाओ, घर घर मंगल साज सजाओ, बधाई बजाओ, अन्न धन वस्त्र लुटाओ आज बहुत दिनों पश्चात् आनन्द की घड़ी आई है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:——
राजा राम जी हमारे पगु धारे नगरी । राजा राम जी हमारे……… चौदह बरस जले बिरह की आग में, बाम विधाता लिख गए दुख हमरे भाग में, आवन की आश में बिताए हर घरी । राजा राम जी हमारे पगु धारे नगरी । राजा राम जी हमारे……… घर घर मंगल साज सजाओ भैया, ध्वज तोरण पताक फहराओ भैया, रुचिर रँगोली राचो रंग भरी । राजा राम जी हमारे पगु धारे नगरी । राजा राम जी हमारे……… सौरभ पल्लव द्वार सजाओ भैया, कदली खंभ अँगन में लगाओ भैया, मंगल कलश मणिदीप जरी । राजा राम जी हमारे पगु धारे नगरी । राजा राम जी हमारे……… मंगल गान बधाव बजाओ भैया, अन धन वस्त्र सुवर्ण लुटाओ भैया, आई अवध में खुशी की घरी । राजा राम जी हमारे पगु धारे नगरी । राजा राम जी हमारे………