प्रभु श्री राम बन से अयोध्या लौट आए हैं । अवध को पूरी तरह से सजा दिया गया है । सखियाँ मंगल गीत गा रही हैं । इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——-
आयो बनवाँ से राम लखन और सिया ।
भयो अवध नगरिया सुहावन सखिया ।
आयो बनवाँ से राम……………
घर घर मंगल साज सजो है ,
घर आँगन गलि चौक पुरो है ,
बजत आनन्द बधावन सखिया ।
आयो बनवाँ से राम……………
सौरभ पल्लव द्वार सजो है ।
कदली खंभ अँगन में लगो है ,
घर आँगन गलि जरत दिया ।
आयो बनवाँ से राम……………
ध्वज तोरन पताक सजो है ,
अगर कपूर की बाति जलो है ,
आरति थाल सजो है सखिया ।
आयो बनवाँ से राम……………
दिव्य सिंहासन राम विराजत ,
हनुमत रघुबर चरन पखारत ,
सीय विराजत वाम पिया ।
आयो बनवाँ से राम……………
मंगल गान वेद धुनि छाए ,
बरसहिं सुमन देव हर्षाए ,
मैयन्ह देखि जुड़ायो हिया ।
आयो बनवाँ से राम……………