आज होली के अवसर पर भक्ति रस से हट कर प्रेम रस की ओर आप सभी को ले चल रहा हूँ। एक युवती का पती परदेश से घर आ रहा है और वह उसकी प्रतीक्षा में किस प्रकार उसके आगमन की तैयारी कर रही है यही भोजपुरी में लिखी गई इस रचना में दर्शाया गया है :—–
घर अइलन हो बलमुआँ खेलब होरी । जब रे बलमुआँ टिशनियाँ पर आयो , रचि रचि अँगना बहारे गोरी । घर अइलन हो बलमुआँ खेलब होरी । घर अइलन हो बलमुआँ……….. जब रे बलमुआँ दुअरवा पर आयो , रचि रचि केशिया सँवारे गोरी । घर अइलन हो बलमुआँ खेलब होरी । घर अइलन हो बलमुआँ……….. जब रे बलमुआँ सेजरिया पर आयो , अंग अंग रंग लगावै गोरी । घर अइलन हो बलमुआँ खेलब होरी । घर अइलन हो बलमुआँ………..