तुम्हारा स्वागत है ऋतुराज । ओढ़ चुनरिया पीली सरसों, नाच रही है आज । अम्बुआ ऊपर छाये मंजरी, सजी है मधुमय साज ।। तुम्हारा स्वागत है ऋतुराज । कोयल करे पुकार, भँवर की गुंजन गूँजे । हे प्रिय आओ! इस बसन्त में, तुम बिन कछु नहिं सूझे ।। मधुर पवन भी तुम्हें बुलाता, तुम बिन सब कुछ सूना आज । आओ प्रिये! सब तुम्हें बुलाते, करो प्रकृति का स्वागत आज ।। तुम्हारा स्वागत है ऋतुराज ।