एक युवती ने जब सुना कि राजा दशरथ के घर चार सुन्दर बालकों ने जन्म लिया है तो उसके मन में उन बालकों को देखने की अभिलाषा जगी। उस समय उसके मन में क्या भाव उठ रहे हैं इसी का वर्णन मैने अपनी इस रचना में किया है :—-
खेलैबो ललना दशरथ जी के अँगना ।
जैबो अवध पुर दरश हम करबो ,
देखि सुरतिया जुड़ैबो नयना ।
दशरथ जी के अँगना ।
खेलैबो ललना………..
लइ लइ गोद चन्द्रमुख देखबो ,
अन धन वस्त्र लुटैबो कंगना ।
दशरथ जी के अँगना ।
खेलैबो ललना………..
आरति मंगल थाल सजैबो ,
मंगल गैबो बजैबो बजना ।
दशरथ जी के अँगना ।
खेलैबो ललना……….
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र