कोरोना काल में लिखी गई मेरी ये रचना। कहा गया है कि हनुमान जी को जब उनके बल की याद दिलाई जाती है तब वे जागृत होते हैं। मैंने भी इस संकट की घड़ी में अपनी इस रचना के माध्यम से हनुमान जी को उनके बल की याद दिलाई है कि कैसे कैसे कठिन कार्य उन्होंने श्रीराम जी के लिये किये। आज जो सम्पूर्ण विश्व कोरोना के संकट से भयग्रस्त है उससे उबारने के लिए मैने हनुमान जी से विनती की है। प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—–
हनुमत तुम बिन कौन उबारे ।
पवन तनय बल पवन समाना ,
का चुप साधि रह्यो बलवाना ,
तुम हो क्यूँ मन मारे ।
हनुमत तुम बिन कौन………
सकल कपिन्ह जब जीवन हारे ,
सबके प्राण उबारे ।
लंका जाइ सिया सुधि लाए ,
तुम बने तारनहारे ।
हनुमत तुम बिन कौन………
जब शक्तीबाण लगे लक्ष्मण को ,
औषधि लाइ उबारे ।
अहिरावण के भुजा उखारे ,
राम के काज सँवारे ।
हनुमत तुम बिन कौन………
फिर एक बार जगत पर छाया ,
संकट घोर अपारे ।
दुष्ट कोरोना कहर मचायो ,
तुम हीं राखनहारे ।
हनुमत तुम बिन कौन………
कौन सो संकट ऐसो जग में ,
जो तुमसो नहिं जात है टारे ।
रक्षा करो कपी हनुमन्ता ,
आयो शरण तुम्हारे ।
हनुमत तुम बिन कौन………
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रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र