गोपियाँ माता यशोदा से कृष्ण की शिकायत कर रही हैं और कहतीं हैं कि हे मैया कन्हैया हम सबों से बरजोरी करता है उसे रोको। हमारी बाट रोकता है, हमारी चुनरी खींच कर भाग जाता है, हमारी गगरी फोड़ देता है, हमारी कलाई मरोड़ता है, हमें घूरता है और नजर मारता है। हे मैया उसे बरजो। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है होली के राग काफी पर मेरी ये रचना :—–
बरजो री जशोमती मैया ,
बरजोरी करत है कन्हैया ।
छेंकत बाट रार मों सों कीजै ,
चुनरी खींच परैया ।
बरजोरी करत है कन्हैया ।।
बरजो री जशोमती मैया ,
बरजोरी करत है कन्हैया ।
कंकड़ि मारि गगरिया फोरत ,
मोरत मोरी कलैया ।
बरजोरी करत है कन्हैया ।।
बरजो री जशोमती मैया ,
बरजोरी करत है कन्हैया ।
निरखत रूप नजर मोहे मारत ,
बरबस करत लरैया ।
बरजोरी करत है कन्हैया ।।
बरजो री जशोमती मैया ,
बरजोरी करत है कन्हैया ।
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रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र