तुम न आए सनम मैं बुलाती रही…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना गजल के रूप में :——

तुम न आए सनम मैं बुलाती रही ।

क्या खता थी हमारी बताते सनम ,
मेरि अपनी भी सुनते सुनाते सनम ,
मैं तो ख्वाबों कि महफिल सजाती रही ।
तुम न आए सनम मैं बुलाती रही ।।

मेरि नजरें अभी भी तुम्हें खोजतीं ,
पथ में पलकें बिछाए तुम्हें जोहतीं ,
मैं तो स्वागत में दीपक जलाती रही ।
तुम न आए सनम मैं बुलाती रही ।।

माफ करना खता कुछ हुई हो अगर ,
दिल कि आवाज मेरी तो सुनना मगर ,
तेरि यादों में नैना बरसाती रही ।
तुम न आए सनम मैं बुलाती रही ।।

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र