नारी …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

 नारी —-

हम दे न सके वह आदर ,
जिसकी वो थी हकदार ।
कहने को देवी बनाया ,
पर किया नहीं सत्कार ।
जिसने हमें उत्पन्न किया ,
दिया प्यार दुलार ।
हमने हीं उस पर जुल्म किये ,
हमने हीं किया बेजार ।
सम्मान की नारी अधिकारी ,
करो प्रेम व्यवहार ।
है लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती ,
यह जानत है संसार ।

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र