चेतो मानव ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

चेतो मानव —-

यह सूर्य है इतना तपता क्यूँ ?
क्यूँ धरती इतनी गरम हुई ?
सरोवर का जल सूख गया क्यूँ ?
नदियाँ क्यूँ बेहाल हुईं ?
है कोई उत्तर इसका ?
यह प्रश्न मुझे झकझोर रहा ।
हमने किया प्रकृति का दोहन ,
प्रकृति हमसे रूठ गई ।
इसीलिए है सूर्य सताता ,
धरती इतनी गरम हुई ।
सर का भी जल सूख गया ,
और नदियाँ बिकल बेहाल हुईं ।
अब भी चेतो रे मानव ,
यह प्रकृति काल कराल हुई ।

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र