गृहलक्ष्मी का आदर मान करो…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

गृहलक्ष्मी का आदर मान करो —-

वह पिता बड़ा बड़भागी है ,
जिसने बेटी को जनम दिया ।
पाला पोषा और बड़ा किया ,
अपरिमित प्यार दुलार दिया ।
जब बड़ी हुई तो भान हुआ ,
यह पर घर की अमानत थी ।
यह जान उसे वहाँ पहुँचाया ,
जिस घर की वह अमानत थी ।
क्या पिता को ये भी हक नहीं ?
उसे मान सम्मान मिले ?
फिर क्यों झुकना पड़ता है उसको ?
दहेज रुपी दानव के आगे ?
क्या इसलिए कि वह बेटी का बाप है ?
क्या इसलिए कि बेटी को जन्म देना पाप है ?
सुनो ऐ बेटे वालों !
बेटी के बाप का सम्मान करो ।
चंचला लक्ष्मी को त्यागो ,
गृहलक्ष्मी का आदर मान करो ।

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र