राम हमारे कभी न रूठें….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

राम हमारे कभी न रूठें—–

सारी दुनिया रूठ जाय ,
इसकी चिन्ता नहीं है मुझको ।
बस राम हमारे कभी न रूठें ,
यही हमारी विनती उनसे ।
सारी दुनिया भूल जाय ,
इसकी भी चिन्ता नहीं है मुझको ।
बस राम हमारे कभी न भूलें ,
यही हमारी विनती उनसे ।
कितने अपने भूल गए ,
कितनों ने आँख चुराई ।
पर राम कृपा ऐसी भई ,
अंजानों ने गले लगाई ।

रचनाकार :

ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र