तेरी राह देखूँगा प्रिये—-
राह में पलकें बिछाए ,
चाहने वाला खड़ा है ।
तुम न आए अब भी ,
मेरी क्या खता है ?
जब तक रहेगी साँस ,
तेरी राह देखूँगा प्रिये ।
इस जनम में हीं नहीं ,
अगले जनम में भी प्रिये ।
यही एक विश्वास प्रभू का ,
मन को सम्बल देता है ।
होगा मिलन अवश्य ,
पूर्व जनमों का कोई नाता है ।
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र