प्रभु राम हमारे घर आए………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

अगर मैं कहूँ कि प्रभु राम हमारे घर आए तो इस पर कोई विश्वास नहीं करेगा क्योंकि मैं तो एक अधम नीच प्राणी हूँ मेरे घर भगवान कैसे आ सकते हैं पर अधमो के हीं बुलाने पर प्रभु आए हैं और उन्हें दर्शन दिए हैं। गणिका, गिद्ध, अजामिल सभी पापी थे फिर भी प्रभु उनके बुलावे पर आए और उन्हें तार दिया। जिनका प्रभु चरण में प्रेम नहीं है वे इस भेद को नहीं समझ सकते कि प्रभु अधमो और पापियों को भी क्यों तारे ? क्यों कि उन्होंने सभी कर्मों को प्रभु को समर्पित कर श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रभु को पुकारा। इस भेद को वही समझ सकता है जिनका प्रभु चरण में प्रेम है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—-

प्रभु राम हमारे घर आए ,
यह कहूँ तो कोई माने ना ।
मैं ऐसा नीच अधम प्राणी ,
यह भेद कोई भी जाने ना ।
प्रभु राम हमारे घर आए…….
प्रभु राम जगत के तारक हैं ,
प्रभु तो शरणागत पालक हैं ,
कामी नर तो पहिचाने ना ।
यह भेद कोई भी जाने ना ।
प्रभु राम हमारे घर आए…….
गणिका और गिद्ध अजामिल तो ,
सब अधम नीच और पापी थे ,
जब प्रभु चरनन में नेह लगी ,
सब गए परमपद पाने ना ।
प्रभु राम हमारे घर आए…….
जिन प्रभु चरनन में प्रेम कियो ,
प्रभु उनके पीछे चलते हैं ,
सुन ले रे नीच अधम प्राणी ,
तू भेद ये कैसे जाने ना ।
प्रभु राम हमारे घर आए…….

 

रचनाकार

 
   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

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