जानकी नन्दनम् जानकी नन्दनम्……..   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

लव कुश के जन्म पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:—–

जानकी नन्दनम् जानकी नन्दनम् ।
जनमें बन में दोउ चन्द, सिय सुखकन्दनम् ।।
जानकी नन्दनम्…………
मुनि जी वर्णन किये गुण दोष बिचार,
कीये बहु भाँति जातक संस्कार,
मातु वैदेहि मन में हैं हर्षित अपार,
भए नामकरण सुन्दरम् लव कुशम् ।
जानकी नन्दनम् जानकी नन्दनम् ।।
जानकी नन्दनम्…………
गुरू बाल्मीकि से विद्या बहु पाई,
गुरू ने कथा राम जी की सुनाई,
अल्प काल में हो गए निपुण दोऊ भाई,
भए अद्भुत् धनुर्धर अधम भंजनम् ।
जानकी नन्दनम् जानकी नन्दनम् ।।
जानकी नन्दनम्…………
सप्त सुर सप्त रागों को गाते दोऊ,
राम नाम की महिमा सुनाते दोऊ,
घूम घूम कर गलियों में गाते दोऊ,
जय जय रघुबीर राघव रमा रमणम् ।
जानकी नन्दनम् जानकी नन्दनम् ।।
जानकी नन्दनम्…………
पहुँचे एक दिन अवध के महल दोउ भाई,
राम नाम कि महिमा गा गा कर सुनाई,
राम से सब प्रशंसा बहू भाँति पाई,
चले हर्षित सदन को सिया नन्दनम् ।
जानकी नन्दनम् जानकी नन्दनम् ।।
जानकी नन्दनम्…………

 

रचनाकार

   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र