प्रस्तुत है शिव जी पर लिखी मेरी ये रचना जिसमें शिव जी के कुछ निरालेपन का वर्णन किया गया है :—–
बोलो भाइ ओम नमः शिवाय ।
भोले बाबा गजब निराला,
अंग भभूति रमाय,
लाठी खा कर भोले बाबा,
बैजनाथ कहलाय ।
बोलो भाइ ओम………….
भोले बाबा गजब निराला,
गले साँप लपटाय,
भष्मासुर को बर दे कर के,
संकट में फँस जाय ।
बोलो भाइ ओम………….
भोले बाबा गजब निराला,
भाँग धतूरा खाय,
गंगा जी को धारण करके,
गंगाधर कहलाय ।
बोलो भाइ ओम………….
भोले बाबा गजब निराला,
तुरत प्रसन्न हो जाय,
इसीलिए तो भोले बाबा,
आशुतोष कहलाय ।
बोलो भाइ ओम…………
अमृत सबने बाँट लिया,
पर विष को कौन पचाय,
विष पी कर के भोले नाथ जी,
नीलकंठ कहलाय ।
बोलो भाइ ओम…………
साँझ सबेरे नित ब्रह्मेश्वर,
शिव को शीश नवाय ।
करले जनम सफल नर अपनो,
सतिपति के गुन गाय ।
बोलो भाइ ओम…………
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र