तैयारी चुनाव की – एक. …………- डॉ. प्रशान्त करण

रामलाल जी, शशि बाबू की सलाह पर संभावित प्रत्याशियों को साधने की टोह में निकले। किसी दल ने अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए, जानकर असमंजस में पड़े थे। तभी जमुना जी, सरदार जी के चाय-नाश्ते की झोपड़ी में कुछ लोगों के साथ खुसुर-पुसुर करते दिखे। रामलाल तीर की भांति झोपड़ी में घुसकर एक कुर्सी पर जम गए। खुसुर-पुसुर बंद हो गई। रामलाल ने जमुना जी को टोक दिया – “क्या बतिया रहे थे? हम गैर हैं क्या? हमारा पेट बहुत गहरा है, बात नहीं निकलेगा।” इस आश्वासन पर, अन्य सभी से आँखों से संवाद कर, जमुना जी ने रामलाल को उस मंडली में निकट बुला लिया। बोले – “वर्तमान विधायक की सीडी देखी?” रामलाल जी सन्न। इतना बड़ा समाचार और उनको भनक नहीं। बोले – “का है उ सीडी में?” जमुना जी बोले – “अभी तो वायरल हुआ है। रामरतन ठीकेदार से घूस ले रहे दिखते और सुनाई देते हैं। ई वाला सीडी कउनो उनके दल के समन्वयक को भेजा है। उनको अब टिकट मिलना कठिन है।” रामलाल बोले – “धत्त, इससे कुछ होता है? पूरा माल पार्टी में जमा कर देंगे। इससे उल्टे उनका टिकट पक्का। सीडी पर हल्ला होगा, तब कहेंगे – ‘जाली सीडी बनाकर विरोधी छवि खराब करना चाहते हैं।'” जमुना जी बोले – “खाली उ थोड़े ही हैं। पूरा किलाबंदी उनके विरुद्ध है।” रामलाल – “छोड़िए, माल बहुत कमाए हैं। पैसा छिटकेंगे तो सब चींटी जइसन घेरे रहेगा उनको। लेकिन एक बात है – रघुवंशी जी का पिछली बार टिकट कटा था, वे तो जोर लगा रहे हैं।” जमुना जी बोले – “समन्वयक जी तो उन्हीं की पैरवी में लगे हैं। कल तक तय होगा। वर्तमान विधायक के घमंड से सब लोग रुष्ट हैं। खाली पैसा से लोग वोट नहीं देते हैं। उनका व्यवहार भी तो उसी है।”

इतना सुनकर रामलाल चुपचाप आगे निकल गए। वे सीधे वर्तमान विधायक के घर पहुंचे। वहाँ उनकी बहुत प्रशंसा की। बोले – “इस बार आपके लिए जी-जान लगा देंगे। लेकिन आप तो पिछली बार वाला बकाया भी नहीं दिए हैं।” विधायक जी ने अपने आदमी को संकेत किया। उनके आदमी ने उनको पाँच सौ रुपए की दो गड्डी थमा दी। रामलाल बोले – “बात तो तीन लाख की थी।” फिर किसी तरह वे दो लाख लेकर यह बुदबुदाते हुए निकल लिए – “इस बार दल से आपको टिकट मिला तो कम से कम तीस लाख। नहीं तो मेरे हिस्से का बीस हजार वोट आपको नहीं मिलेगा। इस बार अग्रिम लेंगे। चुनाव के बाद तो आप दीखते नहीं, मिलना तो दूर की बात।” विधायक जी ठठाकर हँसने लगे। बोले – “टिकट काहे नहीं मिलेगा? नामांकन करने दीजिए, फिर बात करते हैं।”

रामलाल अब रघुवंशी जी के पास पहुंचे। अकेले में उनको कहा – “खाली घूस वाला सीडी से काम नहीं चलेगा। कुछ चटपटा है तो आज ही उजागर कर दीजिए, नहीं तो हाथ मलते रह जाइएगा।” रघुवंशी जी मुस्काए और बोले – “तो लीजिए, वह भी कर देते हैं। आप अपना वाला बीस हजार वोट गछिए।” रामलाल बोले – “पहले टिकट मिलने दीजिए, फिर बात करेंगे।” रघुवंशी जी दो ब्रीफकेस लेकर कहीं निकल गए।

रामलाल जी भी आगे टोह लेने के लिए घूम रहे हैं।