क्यूँ रूठ गए प्रियतम:– क्यूँ रूठ गए प्रियतम, अब मान भी जाओ ना । क्या खता है आखिर मेरी, कुछ भी तो बताओ ना ।।…
View More क्यूँ रूठ गए प्रियतम…- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रMonth: May 2025
राम मोरे आ जाओ ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शबरी प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा कैसे करती थी यही मेरी इस रचना में दर्शाया गया है :– राम मोरे आ जाओ । दर्शन के प्यासे…
View More राम मोरे आ जाओ ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभजले नाम उदार…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भजले नाम उदार– दुर्लभ पावन नर तन पाया, जनम अकारथ यूँहिं गंवाया। अन्त समय जब आया बन्दे, सिर धुनि धुनि पछताया। जो भी कछु पल…
View More भजले नाम उदार…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतीखी कूटनीति : आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक हुंकार
सम्पादकीय – पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ ‘ऑपरेशन ‘सिन्दूर ‘ के बाद हमें इस समय की बदलती रणनीति को गंभीरता से समझना चाहिए। भारत अब…
View More तीखी कूटनीति : आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक हुंकारलज्जा हीं श्रृंगार नारि का….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
लज्जा हीं श्रृंगार नारि का– कर सोलह श्रृंगार सजनियाँ, चली पिया के पास । पायल बाज रही है छम छम, हियरा अती हुलास ।। खाट…
View More लज्जा हीं श्रृंगार नारि का….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभक्ति की जोति सदा तु जलाओ …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भक्ति की जोति सदा तु जलाओ . (सवैया) — जो तोहे प्रीत लगी हरि चरनन, भक्ति की जोति सदा तु जलाओ। हैं प्रभु दीनदयालु कृपालु,…
View More भक्ति की जोति सदा तु जलाओ …-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतेरी राह देखूँगा प्रिये…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
तेरी राह देखूँगा प्रिये—- राह में पलकें बिछाए , चाहने वाला खड़ा है । तुम न आए अब भी , मेरी क्या खता है ?…
View More तेरी राह देखूँगा प्रिये…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसंस्कार डूब रहा….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
संस्कार डूब रहा—- जिन्दगी की रेश में , संस्कार डूब रहा । माता पिता बच्चों का , प्यार डूब रहा । माता पिता रहते हैं…
View More संस्कार डूब रहा….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रWJAI की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में बड़ा फैसला: बिहार कमिटी भंग, स्वतंत्र पत्रकारिता को मिली नई दिशा
पटना, 24 मई 2025: राजधानी पटना के होटल अंब्रेला में वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (WJAI) की विस्तारित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया…
View More WJAI की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में बड़ा फैसला: बिहार कमिटी भंग, स्वतंत्र पत्रकारिता को मिली नई दिशादल से बड़ा देश
सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ कभी देश को पहले रखने की बात करने वाले दल आज उस बात के अर्थ समझने में असहज महसूस…
View More दल से बड़ा देश