नारायण भज नारायण………..   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

भक्तवत्सल भगवान नारायण अपने भक्तों पर अहैतुकी कृपा करते हैं। अपने भक्तों की रक्षा हर प्रकार से करते हैं। नारद जी को पथभ्रष्ट होने से बचाने के लिए तो प्रभु ने उनके शाप को भी प्रेम पूर्वक स्वीकार कर लिया। अहिल्या, केवट, शबरी सबके प्रेम के वश होकर प्रभु ने उन्हें भवसागर पार उतारा। जटायू को तो प्रभु ने अपना चतुर्भुज स्वरूप हीं प्रदान कर दिया। ऐसे कृपालु भगवान नारायण का भजन अवश्य करना चाहिए। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—–

नारायण भज नारायण ।
क्रोधवंत जब नारद ने ,
शाप दियो श्री नारायण ।
ज्ञान भयो तब गिरे चरन में ,
रक्षा किन्हीं नारायण ।।
नारायण भज………

शिला बनी गौतम की नारी ,
बाट जोहती नारायण ।
शाप दियो पति किन्हिं अनुग्रह ,
दर्शन पायो नारायण ।।
नारायण भज………

नाव मँगायो केवट बोला ,
चरन धुलालो नारायण ।
प्रबल प्रेम के वश केवट से ,
चरन धुलाए नारायण ।।
नारायण भज………

अधम जटायू प्रीती जोड़ी ,
हृदय में राखी नारायण ।
सिय रक्षा हित प्राण गवाँ कर ,
रूप धरी श्री नारायण ।।
नारायण भज………

बाट जोहती शबरी निश दिन ,
कब आएगें नारायण ।
किन्हि कृपा प्रभु शबरी पर ,
दर्शन दिन्हीं नारायण ।।
नारायण भज………

 

रचनाकार

 
   ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र