जितना आनंद आलोचना करने में आता है उतना ही आलोचना सहने में पीड़ा . यह बात कहने और दूसरों को प्रवचन देने के लिए अच्छा है कि
निंदक नियरे राखिये ,
आंगन कुटीर छवाय .
बिन पानी , साबुन बिना ,
निर्मल करे सुभाव !
कोई मेरी निंदा करे तो तलवे का लहर कपाल पर चढ़ जाता है . उस समय यदि नहीं कुछ प्रतिशोध ले सका तो भी अपनी निंदा कभी भूली भी जाती है क्या ? जब भी अवसर मिलता है , विलम्ब की गणना कर व्याज समेत निंदा करने वाले को सुना देता हूँ और प्रतिशोधाग्नि की शान्ति के लिए भरपूर सबक भी सीखा देता हूँ . लाख बलवान रहे , शक्तिशाली रहे , उसकी नानी मरेगी कि दुबारा वह मेरी निंन्दा करने की सोचेगा भी .मेरे अहंकार तो तभी संतुष्टि मिलती है . रामलाल जी यह कहते – कहते उत्तेजित होकर हाँफने लगे .
रवि बाबू के उनके कंधे पर हाथ रखकर उन्हें शांत किया . पानी पिलाया और कहा – भाईसाहब , आपकी कीर्ति बढ़ती रहे . आप स्पष्ट सोच वाले व्यक्ति हैं . आप बुरा न मानें तो एक रहस्य की बात बताता हूँ , लेकिन एक शर्त पर .
रामलाल – क्या शर्त ?
रवि बाबू – शपथ लीजिये कि किसी को कानों – कान खबर न लगे कि मैंने बताया है .
रामलाल – पक्का .
रवि बाबू -. राधेश्याम आपके परोक्ष में बारे में उल्टा – पुल्टा बोलता रहता है . मैंने सुना तो उसे बहुत डाँटा और कहा कि आजतक मैंने आपसे अच्छा आदमी देखा नहीं है . पर मुझे सुनकर अच्छा नहीं लगा .
रामलाल – राधेश्याम की यह हिम्मत ! अभी उससे हिसाब करता हूँ . इतना कहकर रामलाल जी शीघ्रता से निकल लिए .रवि बाबू मुस्कुराते हुए बैठे रहे .
थोड़ी देर बाद किसी ने खबर दी कि रामलाल ने लाठी से राधेश्याम का सिर फोड़ दिया है .राधेश्याम अस्पताल में है . रामलाल को सिपाही मथुरा जी पकड़कर थाने ले गए हैं . रवि बाबू मुस्कुराए और उठकर घर चले गए . उन्हें अति प्रसन्न देखकर उनकी धर्मपत्नी ने पूछ लिया – आज आप अत्याधिक प्रसन्न हैं , क्या बात है ? रवि बाबू इतना भर बोले – दोनों ससुरे निबट गए . निंदा करते थे मेरी .