कामदेव के भस्म हो जाने के बाद प्रभु श्रीराम ने शिव जी को पार्वती जी से विवाह करने के लिए मनाया तब शिव जी के गणों ने शिव जी का अद्भुत श्रृंगार किया और शिव जी विचित्र बारात सजा कर चले। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना कजरी के रूप में जिसमें मैने भगवान शिव की बारात कैसी सजी है इसका वर्णन किया है :—
आरे रामा शिव जी के सजल बराती ,
झिंगुरवा बोले ए रामा ।
कि आरे रामा भुत बैताल संहाती ,
परेतवा डोले ए रामा ।
कि आरे रामा शिव जी के सजल………
कि आरे रामा डाँकिन साँकिन और पिशाचिन रामा हो रामा ।
कि आरे रामा गावेली संझा पराती ,
उरुअवा बोले ए रामा ।
कि आरे रामा शिव जी के सजल………
कि आरे रामा जटा जूट शिव नैन विशाला रामा हो रामा ।
कि आरे रामा कर तिरशूल कटी मृगछाला रामा हो रामा ।
कि आरे रामा नागवा के बँधले हैं गाँती ,
फुफकरवा छोड़े ए रामा ।
कि आरे रामा शिव जी के सजल………
कि आरे रामा नन्दी भृंगी नाचत थेइ थेइ रामा हो रामा ।
कि आरे रामा गदहा मारे दुलाती ,
बादुरवा बोले ए रामा ।
कि आरे रामा शिव जी के सजल………
कि आरे रामा देखि रूप शिव के बिकराला रामा हो रामा ।
कि आरे रामा भागि गैलें सगरे सराती ,
करेजवा डोले ए रामा ।
कि आरे रामा शिव जी के सजल………
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र