एक आदमी को ट्रेन में बिना टिकट चढ़ने की आदत पिछले पचास वर्षों से थी। कभी भी बिना टिकट यात्रा करते पकड़े ही नहीं गए और इसलिये मनोबल भी बढ़ता गया।
अब उनकी स्थिति ऐसी हो गयी थी कि वे किसी की भी आरक्षित सीट पर जाकर जबरदर्स्ती बैठ भी जाते.टोकने पर हाथापाई पर बेधड़क उतर जाते.ऐसे ही दिन प्रतिदिन उनका मनोबल बढ़ता गया और रेलवे वाले जानबूझकर उनके प्रति उदासीन रहने लगे. कोई उनकी पीठ पर हाथ भी ठोंक जाता.अब तक वे साधारण श्रेणी और आरक्षित स्लीपर में यात्रा करते थे.एक दिन वे एयर कंडीशन बोगी में आदतन बिना टिकट चढ़ गए.और जाकर एक सज्जन की सीट पर बैठ गए. उस सज्जन ने विनम्रता से उन्हें मना किया तो अपनी लत के अनुसार उनका झगड़ा करना शुरु हो गया, पहले तो उस आरक्षित सीट वाले सज्जन को उन्होंने भला बुरा कहा, फिर धमकी देने लगे, उससे भी काम नही चला तो हाथापाई पर उतारु हो गए.उस सज्जन ने फोन कर पुलिस को बुला दिया। लेकिन पुलिस के सामने भी वे अपनी ऐंठन दिखाते रहे.तब तक टीटी भी आ गए. टीटी महोदय ने आने के साथ ही सबसे पहले उनसे टिकट की माँग की.अब टिकट तो उनके पास था नहीं तो वे दाएं – बाएं देखकर उल्टी – सीधी बकने लगे.
टीटी महोदय ने फ़ाइन की बात की, पुलिस ने अरेस्ट करने की बात की, तो वे कहने लगे -जब मै स्टेशन में घुसा तब आप लोग कहाँ थे?जब मै ट्रेन में बिना टिकट चढ़ा तब आपने क्यों नहीं रोका?
जब यहाँ आकर बैठा, तब तो आप लोगों ने मुझे मना नहीं किया।अब ये आदमी हमसे झगड़ा करने लगा तो आप लोग टिकट के बहाने इसकी तरफदारी में लग गये? देखिए मेरे पास पैसा नहीं है और जाना तो इसी ट्रेन में है. तब क्या आप हमको ट्रेन में से नीचे फेंक दिजियेगा?कहाँ का न्याय है यह ? हमें पहले नोटिस दीजिए। फिर हम नोटिस के उत्तर देने के लिए समय पर समय की माँग करेंगे. स्मरण रहे कि हम पिछले पचास वर्षों से ऐसे ही बिना टिकट ट्रेनों में यात्रा कर रहे हैं.तब आपको क्यों नही दिखा? किसी ने पिछले पचास वर्षों में हमें कभी नहीं रोका -टोका.अब आप खाली इस आदमी का पक्ष लेने के लिये फ़ाइन लगाने लगे? मुझे इनके कहने पर कारागार भेजने तक की धमकी तक देने लगे.
अब उसकी हिम्मत देख, दो चार बिना टिकट यात्री और आ गये और उसके पक्ष में पूरा हंगामा शुरु कर दिया। सभी बिना टिकट के यात्रियों ने मिलकर चिल्लाते हुए कहा – ये क्या तरीका है?यह ट्रेन हमारी है, हम वर्षो से इसमे़ बिना टिकट सफर कर रहे हैं, इसमें सफर करने में हमने पसीना बहाया है। हमारे पुरखों ने इसे खून से सींचा है।आप लोग बेटिकट यात्रियों से भेदभाव करते हो।
अगर सीट देनी तो सबको देनी होगी, पर तुम भेदभाव करके केवल टिकट वालों को सीट देते हो।आप लोग तानाशाही कर रहे हैं।अगर यह आदमी झगड़ा नहीं करता तो आप आते क्या?
आप खाली इस आदमी की ओर में ये सब कर रहे हैं। यह हम बिना टिकट यात्रा करने वालों के प्रति घोर अन्याय है ये। गरीबों को तो कोई देखने वाला नहीं है। यह हम गरीबों के साथ गलत व्यवहार हो रहा है।तभी कुछ छुटभैये राजनीति करने वाले भी वहां आ गये।
वे कहने लगे – रेल की सीटों पर पहला हक बिना टिकट यात्री वालों का है।रेलवे जानबूझ कर टिकट वाले और बिना टिकट यात्रियों के बीच नफरत फैलाने के लिए यह सब कर रहा है। हम यह नफरत का खेल नहीं होने देंगे।हम मुहब्बत की दुकान चलाते हैं.
हम रेलवे से ऐसा नियम बनवाऐंगे कि पहले बिना टिकट यात्रियों को सब सीटे दी जाऐंगी, अगर कोई सीट खाली रही तो वही सीट टिकट लिये यात्री को मिलेगी।
टीटी और पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था कि बिना टिकट यात्री के संबंध में चिंतन और चिंता करें भी तो कैसे ? हमारा राष्ट्र भी तो ट्रेन से कम नहीं !