रांची: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झारखंड विधानसभा के प्रभारी सचिव को पत्र लिखकर वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष को पद से हटाने की मांग की है। यह मांग विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 158 (1) के तहत की गई है।
भाजपा ने अपने पत्र में कहा है कि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ने अपने पद का विवेकपूर्ण उपयोग नहीं करते हुए भाजपा के 18 विधायकों को हेमंत सरकार के इशारे पर निलंबित किया। निलंबित विधायकों में अनंत कुमार ओझा, रणधीर कुमार सिंह, नारायण दास, अमित कुमार मंडल, डॉ. नीरा यादव, किशुन कुमार दास, केदार हाजरा, बिरंची नारायण, अपर्णा सेनगुप्ता, राज सिन्हा, कोचे मुंडा, भानु प्रताप शाही, समरी लाल, सी पी सिंह, नवीन जयसवाल, डॉ. कुशवाहा शशि भूषण मेहता, आलोक कुमार चौरसिया और पुष्पा देवी शामिल हैं।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि 31 जुलाई 2024 को सदन शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने युवाओं और संविदाकर्मियों के विषय पर चर्चा करवाने और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब दिलवाने का आग्रह किया था। बावजूद इसके, बिना मुख्यमंत्री का जवाब सुने, विधायकों को निलंबित कर दिया गया।
भाजपा ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने अपने पद का निष्पक्ष रूप से उपयोग नहीं किया और मुख्यमंत्री के हित की रक्षा करते हुए झामुमो के विधायक सुदिव्य कुमार द्वारा लाए गए निलंबन प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों को निलंबित किया। आमतौर पर इस प्रकार का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री द्वारा सदन में लाया जाता है, और उसके पूर्व कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होती है, जो इस मामले में नहीं हुआ।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में अधिक कार्य किया है। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में झामुमो का झंडा लगाकर झामुमो प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार किया।
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने उच्च न्यायालय के बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर वापस भेजने के निर्देश की आलोचना की और सार्वजनिक रूप से कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई मामला नहीं है।
भाजपा ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने अपने पद पर रहते हुए लगभग 4 वर्षों तक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई भाजपा विधायकों को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर सदन के अंदर बोलने तक नहीं दिया और कई विधायकों की ध्यानाकर्षण की सूचना को ग्रहण नहीं किया।
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि विधानसभा अध्यक्ष ने केंद्र सरकार की आलोचना की और गोड्डा के सांसद के व्यक्तिगत बयान की भी सदन में चर्चा कर झामुमो और कांग्रेस के विधायकों को उकसाया।
भाजपा ने यह भी कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा विधायकों पर झूठा आरोप लगाया कि उन्होंने महिला और पुरुष मार्शलों के साथ दुर्व्यवहार किया है, जिससे भाजपा विधायकों ने मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी है।
भाजपा ने निष्कर्ष निकाला है कि विधानसभा अध्यक्ष अपने संवैधानिक दायित्वों को निभाने में असफल रहे हैं और उन्हें उनके पद से हटाया जाना चाहिए।