सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’।
लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति है उसका मतदाता, और चुनाव के समय यह शक्ति अपने सबसे प्रखर रूप में होती है। भारत में चुनाव केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह समाज और संस्कृति के आदर्शों का प्रतिबिंब है। “जाहि विधि रहे राम, ताहि विधि रहिये” इस प्राचीन लोक प्रचलित वाक्य में जीवन की गूढ़तम सच्चाई समाहित है। रामायण से जुड़े इस विचार में हमें जीवन की दिशा का अनुसरण करने की प्रेरणा मिलती है, जहाँ राम जैसा आदर्श पुरुष अपने कर्तव्यों को निभाते हुए समाज और व्यक्तिगत जीवन की मर्यादा का पालन करता है।
आज के संदर्भ में, विशेषकर झारखंड चुनाव 2024 की ओर देखते हुए, इस विचार का विशेष महत्व है। झारखंड के मतदाताओं को यह समझना होगा कि “जैसी राम की इच्छा” कहकर अकर्मण्यता की राह नहीं पकड़नी है, बल्कि राम के जीवन से प्रेरणा लेकर निर्भीक और सही निर्णय लेना है। मतदाता को चुनाव के समय अपने अधिकार और कर्तव्यों का पालन करते हुए उम्मीदवार के चयन में सचेत रहना होगा, क्योंकि यह एक जिम्मेदारी है जिसे राम की मर्यादा के समान निभाना जरूरी है।
राम की मर्यादा और आज के चुनाव
राम केवल एक राजा नहीं थे, वे मर्यादा पुरुषोत्तम थे। उनके जीवन में हर कदम पर मर्यादा का पालन होता था। उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन की समस्याओं का सामना करते हुए भी कभी अपनी प्रजा के प्रति कर्तव्यों से समझौता नहीं किया। आज के झारखंड चुनावों में भी मतदाताओं को राम की तरह अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि वे किसे चुन रहे हैं और क्यों चुन रहे हैं।
झारखंड जैसे राज्य में, जहां आदिवासी और गैर-आदिवासी, जातिगत समीकरण, धर्म और समुदाय के नाम पर राजनीति होती है, यह आवश्यक है कि मतदाता केवल जाति, धर्म, और व्यक्तिगत लाभ के आधार पर उम्मीदवारों का चयन न करें। उन्हें यह देखना होगा कि उम्मीदवार कितना ईमानदार है, उसकी नैतिकता और नेतृत्व क्षमता कैसी है। राम ने भी अपने निर्णय सदैव समाज के हित में किए, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं। इसी प्रकार मतदाताओं को भी अपनी पसंद में निष्पक्ष और समाज के हितों को ध्यान में रखना चाहिए।
अकर्मण्यता नहीं, सक्रिय निर्णय की जरूरत
“जैसी राम की इच्छा” कहना अक्सर एक प्रकार की अकर्मण्यता का संकेत हो सकता है, जहाँ हम अपना निर्णय ईश्वर या भाग्य के ऊपर छोड़ देते हैं। लेकिन रामायण से यह शिक्षा मिलती है कि राम ने कभी भाग्य पर निर्भर होकर अपने कर्तव्यों से मुँह नहीं मोड़ा। उन्होंने हर परिस्थिति में सही निर्णय लिए और अपने कर्तव्यों का पालन किया। इसलिए, झारखंड चुनाव 2024 में मतदाताओं को भी इस अकर्मण्यता से बाहर निकलना होगा और अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सक्रिय रूप से सही निर्णय लेना होगा।
वोटर को अपने चैतन्य का अनुसरण करना चाहिए। उसे यह सोचना चाहिए कि वह किस प्रकार समाज और अपने क्षेत्र का भविष्य बना सकता है। इस प्रक्रिया में केवल किसी बड़ी पार्टी के नाम पर वोट देना सही नहीं है। यदि पार्टी बड़ी है, लेकिन उम्मीदवार कमजोर, बेईमान या भ्रष्ट है, तो ऐसी स्थिति में उस उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहिए। इसके बजाय, यदि कोई निर्दलीय उम्मीदवार सही और सक्षम है, जो अपने क्षेत्र का बेहतर नेतृत्व कर सकता है, तो उसे चुनने से नहीं झिझकना चाहिए।
उम्मीदवार की नैतिकता और समाज के प्रति जिम्मेदारी
राम की सबसे बड़ी विशेषता थी उनकी नैतिकता और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी। झारखंड के मतदाताओं को भी अपने उम्मीदवारों में यही गुण देखने होंगे। यह चुनाव का समय है, और समाज के सामने कई ऐसे नेता और उम्मीदवार होंगे जो बड़े-बड़े वादे करेंगे, लेकिन मतदाताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि इन वादों के पीछे असलियत क्या है।
अगर कोई उम्मीदवार अपनी जाति या धर्म का उपयोग करके वोट मांगता है, तो यह राम की मर्यादा के विपरीत है। राम ने कभी जाति या धर्म का सहारा नहीं लिया, उन्होंने सदैव कर्तव्यनिष्ठा का पालन किया। झारखंड के मतदाताओं को भी इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वे उम्मीदवार की जाति, धर्म या समुदाय के आधार पर वोट न दें। इसके बजाय, उम्मीदवार की योग्यता, ईमानदारी और उसकी समाज के प्रति जिम्मेदारी को प्राथमिकता दें।
समाज की एकजुटता को बनाए रखना
जाति, धर्म, और समुदाय के नाम पर राजनीति केवल समाज को विभाजित करने का काम करती है। राम ने सदैव समाज को एकजुट करने का प्रयास किया। चाहे वह वानर सेना हो या अन्य समुदाय, राम ने हमेशा सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास किया। झारखंड के मतदाताओं को भी इसी एकजुटता की भावना से वोट देना चाहिए।
इस चुनाव में मतदाताओं को अपनी जाति या धर्म को आधार बनाकर वोट नहीं देना चाहिए। उन्हें इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि उम्मीदवार आदिवासी है या गैर-आदिवासी, बल्कि इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए कितना योग्य है। समाज को विभाजित करने वाली राजनीति से बचते हुए, हमें एकजुट होकर सही उम्मीदवार का चयन करना चाहिए।
निर्भीक निर्णय और लोकतंत्र की मर्यादा
राम ने कभी भी कठिन परिस्थितियों में भी डरकर निर्णय नहीं लिया। वे सदैव अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहे और अपनी मर्यादा का पालन किया। इसी प्रकार झारखंड के मतदाताओं को भी निर्भीक होकर सही निर्णय लेना होगा। उन्हें यह सोचना होगा कि उनका एक वोट किस प्रकार उनके क्षेत्र और राज्य के भविष्य को प्रभावित करेगा।
मतदाता को यह समझना चाहिए कि चुनाव केवल एक पार्टी को चुनने का अवसर नहीं है, बल्कि यह उम्मीदवार की व्यक्तिगत योग्यता को भी परखने का समय है। यदि कोई निर्दलीय उम्मीदवार बेहतर है और वह अपने क्षेत्र का अच्छा प्रतिनिधित्व कर सकता है, तो उसे वोट देने में हिचक नहीं करनी चाहिए।
राम की तरह हर मतदाता को भी अपनी मर्यादा और जिम्मेदारी का पालन करना चाहिए। यह उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि वे समाज के हित में सही निर्णय लें और अपने वोट का सही इस्तेमाल करें।
राम की राह पर चलें
“जाहि विधि रहे राम, ताहि विधि रहिये” का असली अर्थ यह है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए सही निर्णय लेना चाहिए। झारखंड चुनाव 2024 के संदर्भ में यह संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है। मतदाताओं को राम की तरह अपनी जिम्मेदारी समझते हुए निर्भीक और सही निर्णय लेना चाहिए। उन्हें यह देखना चाहिए कि कौन उम्मीदवार उनके क्षेत्र और समाज के लिए सबसे बेहतर हो सकता है, चाहे वह किसी भी पार्टी से हो या निर्दलीय हो।
राम की मर्यादा हमें यह सिखाती है कि समाज का हित सर्वोपरि है, और मतदाता के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम समाज के विकास के लिए सही नेतृत्व का चयन करें। जाति, धर्म, और व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठकर, हमें अपने वोट का सही उपयोग करना चाहिए, ताकि समाज का कल्याण हो और राम की मर्यादा का पालन हो।