उन चरनन का गुणगान करूँ,……- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

. चरण कमल रसपान करूँ .

उन चरनन का गुणगान करूँ,
जेहि चरनन मुनि तिय तारत है ।
उन चरनन का रज पान करूँ,
जेहि चरनन केंवट धोवत है ।
उन चरनन का मैं ध्यान करूँ,
जेहि चरनन सुर नर सेवत हैं ।
उन चरनन को निज हृदय धरूँ,
जेहि चरनन शिव हिय धारत हैं ।
उन चरन कमल रस पान करूँ,
मुनि मन भवँरा बन मड़रत हैं ।
उन चरनन का कब दरश मिले,
‘ब्रह्मेश्वर’ का मन तड़पत है ।

 

रचनाकार

  ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र