– पुर्णेन्दु सिन्हा पुष्पेश….
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक आ रहा है, और जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें करीब आ रही हैं, राज्य की राजनीतिक स्थिति भी गरमा रही है। हर चुनाव की तरह इस बार भी पार्टियों के बीच गहरी खींचतान और गठबंधन बनाने-बिगाड़ने का दौर शुरू हो चुका है। सत्ता में काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और उसके गठबंधन सहयोगियों के सामने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से सीधा मुकाबला है, जो पिछली बार सत्ता से बाहर हो गई थी और इस बार वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
सत्ता का समीकरण: JMM और कांग्रेस का गठबंधन
झारखंड में वर्तमान सरकार JMM और कांग्रेस के गठबंधन पर आधारित है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले चुनावों में आदिवासी समुदायों के बीच अच्छी पकड़ बनाई थी, जो अब भी उनका सबसे मजबूत वोट बैंक है। पिछले पांच वर्षों में उनकी सरकार ने कई लोकलुभावन योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे कि किसानों के लिए कर्ज माफी, युवाओं के लिए रोजगार योजनाएँ और महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों और कुछ विवादित निर्णयों ने सरकार की छवि को प्रभावित किया है। इन मुद्दों पर विपक्षी दल लगातार हमलावर हैं, लेकिन हेमंत सोरेन का आत्मविश्वास इस बात से झलकता है कि वे अभी भी आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं।
इस चुनाव में कांग्रेस की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी, क्योंकि उसका वोट बैंक शहरी और पिछड़े वर्गों के बीच है। हालांकि, पार्टी की स्थिति राज्य में कमजोर हुई है और उसके अंदरूनी कलह से भी नुकसान हो सकता है। बावजूद इसके, JMM और कांग्रेस का गठबंधन अभी तक कायम है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों पार्टियां मिलकर BJP की चुनौती का सामना कर पाएंगी।
BJP की वापसी की कोशिशें
BJP झारखंड में सत्ता वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। पिछली बार मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। उस हार के बाद पार्टी ने कई रणनीतिक बदलाव किए हैं। इस बार BJP स्थानीय नेताओं को आगे रखकर चुनाव लड़ रही है, ताकि आदिवासी और पिछड़े वर्गों को साधा जा सके। BJP के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में बड़े स्तर पर प्रचार अभियान की योजना बनाई है।
BJP का प्रमुख चुनावी मुद्दा विकास और भ्रष्टाचार-मुक्त सरकार का है। पार्टी हेमंत सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाने की कोशिश कर रही है, खासकर अवैध खनन और सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं को लेकर। वहीं, राज्य में BJP के लिए बड़ी चुनौती आदिवासी वोट बैंक को फिर से जीतना है, जो पिछले चुनावों में JMM की ओर चला गया था। इसके लिए BJP ने आदिवासी नेताओं को प्रमुख भूमिकाएं देने का निर्णय लिया है।
नए गठबंधन और क्षेत्रीय दलों की भूमिका
झारखंड में क्षेत्रीय दलों की भूमिका भी अहम रहने वाली है। आजसू (All Jharkhand Students Union) और अन्य छोटे दल चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं। पिछले चुनावों में आजसू और BJP का गठबंधन टूटा था, लेकिन इस बार दोनों के बीच फिर से समझौते की संभावनाएँ हैं। वहीं, Jharkhand Vikas Morcha (JVM) जैसी पार्टियाँ भी कुछ सीटों पर असर डाल सकती हैं, हालांकि उनका प्रभाव सीमित ही रहेगा।
मुद्दों का चुनावी असर
झारखंड की राजनीति में मुद्दे हमेशा से ही स्थानीय जरूरतों और समस्याओं पर केंद्रित रहे हैं। इस बार भी चुनावी मुद्दों में सबसे प्रमुख है रोजगार, खासकर युवा वर्ग के बीच बेरोजगारी की समस्या। राज्य में विकास की धीमी गति और औद्योगिक विकास की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है। साथ ही आदिवासी इलाकों में ज़मीन और जंगल से जुड़े अधिकारों को लेकर भी राजनीतिक दल चुनावी रोटियाँ सेंकने की कोशिश करेंगे।
इसके अलावा, सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दे भी चुनावी बहस का हिस्सा बनेंगे। कोरोना महामारी के बाद से राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और भी बदतर हो गई है, और सरकार पर इसके लिए सवाल उठाए जा रहे हैं।
चुनाव प्रचार और सोशल मीडिया की भूमिका
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में सोशल मीडिया का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है। सभी प्रमुख दल अपनी ऑनलाइन उपस्थिति को मजबूत करने में जुटे हैं। Facebook, Twitter, Instagram और YouTube जैसे प्लेटफॉर्म पर विभिन्न दलों के प्रचार अभियान जोर-शोर से चल रहे हैं। जहां एक ओर BJP अपने केंद्रीय नेतृत्व के भाषणों और उपलब्धियों को सामने रख रही है, वहीं JMM अपने क्षेत्रीय मुद्दों और लोकलुभावन योजनाओं को प्रचारित कर रही है।
सोशल मीडिया के अलावा, जमीन पर जनसंपर्क अभियान भी जोरों पर हैं। BJP के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे महत्वपूर्ण होंगे, जबकि हेमंत सोरेन राज्य के हर कोने में जाकर मतदाताओं से संवाद कर रहे हैं। छोटे दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए भी यह एक मौका है कि वे सोशल मीडिया के जरिए मतदाताओं तक पहुंच सकें और अपनी पहचान बना सकें।
किसकी बनेगी सरकार?
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 एक दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। JMM और कांग्रेस का गठबंधन एक ओर जहां सत्ता में वापसी के लिए प्रयासरत है, वहीं BJP राज्य की राजनीति में फिर से खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रही है। क्षेत्रीय दल और छोटे गठबंधन भी इस चुनाव को बहुकोणीय बना रहे हैं, जिससे परिणामों का अनुमान लगाना और कठिन हो जाता है।
आखिर में, चुनाव परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन से दल स्थानीय मुद्दों को सही तरीके से उठाते हैं और मतदाताओं के बीच विश्वास बहाल कर पाते हैं। साथ ही, झारखंड के आदिवासी वोटरों का रुझान भी चुनाव के परिणाम को काफी हद तक प्रभावित करेगा। हर कोई यह देख रहा है कि इस बार किसकी होगी जीत और किसकी बनेगी सरकार।