-पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारी में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की नजर आदिवासी मुद्दों पर है। राज्य में आदिवासी समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है, और उनके अधिकारों और विकास की दिशा में किए गए प्रयास चुनावी रणनीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। इस संदर्भ में, एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) और इंडी गठबंधन (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) दोनों ने आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में लाने के लिए विभिन्न नीतियों और योजनाओं की घोषणा की है। हालांकि, एनडीए इस मामले में अधिक मुखर और सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है।
एनडीए का आदिवासी विकास पर जोर एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से आता है। झारखंड की स्थापना के समय से ही आदिवासी समुदाय के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई गईं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भूमि अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया गया। मोदी सरकार ने आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि:
पारंपरिक कला और हस्तशिल्प का संरक्षण: एनडीए ने आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं। इनमें आदिवासी हस्तशिल्प को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रमोट करना शामिल है, जिससे आदिवासी कलाकारों को आर्थिक स्वतंत्रता मिल सके।
स्वास्थ्य सेवाएं: स्वास्थ्य के क्षेत्र में एनडीए सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए अनेक योजनाएं चलाई हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत आदिवासी समुदाय को स्वास्थ्य बीमा कवरेज का लाभ दिया जा रहा है।
भूमि अधिकार: आदिवासियों के भूमि अधिकारों को संरक्षित करने के लिए एनडीए ने वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में कदम उठाए हैं। इससे आदिवासियों को अपनी पारंपरिक भूमि पर अधिकार प्राप्त हो सके हैं।
शिक्षा: एनडीए सरकार ने आदिवासी बच्चों के लिए विशेष शिक्षा योजनाएं लागू की हैं, ताकि वे शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े न रहें। इसमें छात्रवृत्ति और विशेष शैक्षिक संस्थान स्थापित करने पर जोर दिया गया है।
वहीं दूसरी ओर, इंडी गठबंधन आदिवासी मुद्दे पर अपेक्षाकृत कम मुखर दिखाई दे रहा है। यह गठबंधन मुख्य रूप से राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और आदिवासी समुदाय के मुद्दों को प्राथमिकता नहीं दे रहा है। यहां कुछ मुख्य बिंदुओं पर विचार किया जा सकता है:
नीतियों का अभाव: इंडी गठबंधन ने आदिवासी विकास के लिए ठोस नीतियों की कमी दिखाई है। उनके घोषणापत्र में आदिवासी मुद्दों पर ध्यान कम है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे इस समुदाय को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
राजनीतिक सहानुभूति का अभाव: इंडी गठबंधन के नेताओं ने कई बार आदिवासी मुद्दों का राजनीतिक उपयोग किया है, लेकिन उनके लिए वास्तविकता में काम करने की कमी रही है। यह आदिवासियों के बीच विश्वास को कमजोर करता है।
विकास के दावे: इंडी गठबंधन द्वारा आदिवासी विकास के दावों की तुलना में एनडीए के वास्तविक कार्य और योजनाएं अधिक प्रभावशाली रही हैं। विकास की गति और समर्पण की कमी के कारण आदिवासी समुदाय में इंडी गठबंधन के प्रति असंतोष बढ़ता जा रहा है।
इस चुनाव में आदिवासी मुद्दे पर एनडीए और इंडी गठबंधन के बीच स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। एनडीए ने आदिवासी विकास के लिए ठोस कदम उठाए हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि वे वास्तव में आदिवासियों के शुभचिंतक हैं। एनडीए की नीतियों ने आदिवासी समुदाय को सशक्त बनाने का काम किया है, जबकि इंडी गठबंधन केवल शब्दों में ही आदिवासियों का समर्थन करता है। झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में आदिवासी वोटरों को यह समझने की आवश्यकता है कि उनकी वास्तविक भलाई और विकास के लिए किस दल ने वास्तव में ठोस कदम उठाए हैं।
इस चुनाव में एनडीए का आदिवासी समुदाय के प्रति दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली यह साबित करती है कि वे आदिवासियों के विकास के प्रति एक सच्चे शुभचिंतक हैं। जबकि हेमंत सरकार द्वारा आदिवासियों के साथ अनेक ऐसे वादे किये गए हैं जो धरातल पर कभी उतरे ही नहीं। इंडी गठबंधन को अपने वादों को साकार करने और आदिवासी समुदाय के मुद्दों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, ताकि वे भी इस महत्वपूर्ण वोट बैंक को अपने पक्ष में ला सकें।