प्रभु श्रीराम विवाह मंडप में सीता जी के साथ विराजमान हैं। सखियाँ कहती हैं कि आज जनक जी का आँगन कैसा सुहावना लग रहा है ? अवधपुरी से पाहुने जो पधारे हैं ? इस प्रकार श्रीराम जी और सीता जी की शोभा का वर्णन कर रही हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :— .
आजु जनक जी के अँगना , हो सुहावन लागै । ऐलें अवध पुर से पाहुना , मनभावन लागै । आजु जनक जी के अँगना……… राम के शोभेला पीत पीताम्बर , सिया जी के शोभेला कंगना । मनभावन लागै । आजु जनक जी के अँगना……… राम के शोभेला चरन महावर , सिया जी के माँगहिं सिन्दुरा । मनभावन लागै । आजु जनक जी के अँगना……… सब सखियन मिलि मंगल गावत , घर घर बाजत बाजना । मनभावन लागै । आजु जनक जी के अँगना………