प्रभु श्रीराम ने जब रावण का वध कर दिया तब सब देवता मुनि आए और प्रभु की स्तुति करने लगे। प्रभु के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर रहे हैं, उनके अलौकिक चरित्रों का गान कर रहे हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——–
श्रीमन् नारायण नारायण हरी हरी ।
कौशल्या के पुत्र भए प्रभु,
बहु बिधि बाल चरित्र करी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
बक्सर जाइ प्रभु ताड़िका मारे,
पतित अहिल्या तरी तरी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
जाइ जनक पुर शिव धनु तोड़े,
जनक सुता को बरी बरी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
पिता बचन हित बन में आए,
सुर नर मुनि जन अभय करी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
केवँट से प्रभु चरन धुलाए,
पार उतरि गए छने घरी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
सूपनखा अति दुष्ट निश्चरी,
नाक कान बिनु करी करी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
खर दूषण त्रिशिरा बलशाली,
राम राम कहि कटी मरी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
इहाँ हरी निशिचर बैदेही,
करत बिलाप बिरह से भरी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
सिय रक्षा हित प्राण गवाँयो,
अधम गिद्ध हरि रूप धरी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
शबरी को प्रभु दर्शन दिन्हा,
कपिन्ह मयत्री करी करी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
बाली मारि सुग्रीव उबारे,
बालिपुत्र को अभय करी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
विनती करि प्रभु सेतु बँधायो,
रामेश्वर थापना करी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
लंका जाइ दशानन मारे,
देवन्हि बिपदा हरी हरी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
लेइ सिया संग अवध को आए,
रामराज्य थापना करी ।
श्रीमन् नारायण नारायण……..
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र