प्रभु श्रीराम का वन से अयोध्या लौटने को एक दिन शेष है। माता कौशल्या व्याकुल हैं कि राम अब तक आए क्यों नहीं ? सखियों से कहती हैं कि हे सखी राम अब तक आए क्यों नहीं ? उन्हें एक पल एक युग के समान बीत रहा है। इसी बीच भरत जी आकर प्रभु श्रीराम के आने की सूचना माता कौशल्या को देते हैं कि भैया राम आ रहे हैं हनुमान जी ने यह खबर लाई हैं। माता का हृदय यह समाचार सुन कर प्रफुल्लित हो जाता है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—-—
राम काहे न आए सुनो री सखिया । एक दिन शेष अवधि का आधारा , आए नहीं मोरे राज दुलारा , बिरह के आग में जरेला छतिया । राम काहे न आए………… किय मोरे लाल मैया को भुलाए , किय परिजन पुरजन न सुहाए , बाट जोहत मोर थकित अँखिया । राम काहे न आए………… तेहि छन भरत खबर लेइ आए , राम लखन सिय आगमनु सुनाए , मैया के हुलसित हरष से हिया । राम काहे न आए…………