रे बन्दे! ईश्वर तुम्हें मानव शरीर देकर इसलिए पृथ्वी पर भेजता है कि तुम प्राणी मात्र से प्रेम करोगे, अपने मीठे वचनों से सबके हृदय को जीत लोगे पर इस धरा पर आकर तुम अपने कड़वे वचनों से निन्दा के पात्र बन जाते हो। जीवन का क्या भरोसा कब इस जग को छोड़ कर चला जाय फिर तो यह शरीर मिट्टी में हीं मिल जाना है, बस रह जाएंगे तो तुम्हारे मीठे बोल। इसलिए रे बन्दे! मीठे वचन बोलो। इसे बोलने में कोई माल खजाना नहीं लगने वाला है। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना:–—
बन्दे! मीठे बोल बोल ।
ना लगे माल खजाना बन्दे,
ना कोइ मोल न तोल ।
बन्दे! मीठे बोल बोल……
जीवन का है कौन भरोसा,
आज रहे कल जाए ।
एक दिन माटी में मिल जाना,
फिर ये काम न आए ।
बन्दे! मीठे बोल बोल……
प्रभु की कृपा अपार भई तब,
पावन नर तन पाया ।
अहंकार के वश में होकर,
कड़ुवे बचन सुनाया ।
बन्दे! मीठे बोल बोल……
ब्रह्मेश्वर बिक जाएगा तू,
एक दिन माटी मोल ।
रह जाएगें जग में तेरे,
मीठे बोल अनमोल ।
बन्दे! मीठे बोल बोल…….