बोकारो : चिन्मय विद्यालय बोकारो के तत्वाधान में सी.बी.एस.ई. से संबंद्ध बोकारो जिले के सभी विद्यालयों के प्राचार्य को लेकर सीबीएसई प्रिंसिपल मीट 2023 का आयोजन किया गया। आयोजक बोकारो एवं गिरिडीह के सिटी को-ऑर्डिनेटर सूरज शर्मा थे और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरविंद कुमार मिश्रा, रीजनल ऑफिसर, सी.बी.एस.ई., पटना रीजन थे। इस कार्यक्रम में बोकारो जिला के 50 से अधिक सी.बी.एस.ई.से संबंधित विद्यालयों के प्राचार्य सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत चिन्मय विद्यालय के वैदिक परंपरा से हुई। विद्यालय के छात्राओं ने तिलक-मिश्री एवं गुलाब पुष्प भेंट देकर सभी आगंतुक प्राचार्य एवं उनके प्रतिनिधियों का स्वागत किया । इसके पश्चात मुख्य अतिथि अरविंद कुमार मिश्रा, प्राचार्य सूरज शर्मा, डॉ0 राधाकृष्णण सहोदया काॅपलेक्स के अध्यक्ष ए.एस गंगवार, प्राचार्य, डी.पी.एस, बोकारो, उपाध्यक्ष पी.शैलजा जयकुमार, प्राचार्य, अय्यप्पा पब्लिक स्कूल, बोकारो एवं सुमन चक्रबर्ती प्राचार्य, जी.जी.पी.एस बोकारो ने दीप प्रज्वलित कर किया। विद्यालय के छात्राओं ने गणेश वंदना नृत्य की मोहक प्रस्तुति दी तथा मधुर स्वागत गीत से सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।
अपने स्वागत संबोधन में बोकारो गिरिडीह को-ऑर्डिनेटर आयोजन विद्यालय के प्राचार्य सूरज शर्मा ने कहा कि मुख्य अतिथि अरविंद कुमार मिश्रा, आर.ओ पटना रीजन हमेशा हमारी समस्याओं में हमारे साथ खड़े होते हैं और उन समस्याओं के समाधान में पूरा सहयोग करते हैं। यही कारण है कि सी.बी.एस.ई. 2023 की परीक्षा बिना किसी अवरोध के सफलतापूर्वक सफल हुआ।
अपने संबोधन में श्री मिश्रा ने शिक्षकों को गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए कहा कि संसार में ईश्वर से भी ज्यादा महान गुरु हैं जो अपनी कृपा से अपने श्रम से लोगों को ईश्वरत्व की ओर ले जाते है। मुझे अपार हर्ष हो रहा है कि आप जैसे गुरुजनों की कृपा के कारण ही मैं बोकारो मे पला बड़ा इंसान आज इस मुकाम पर पहुंचा हॅू और आपसब से संवाद स्थापित करने में सक्षम हूॅ। उन्होंने शिक्षक समुदाय की धैर्य एवं सहयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि अब कभी भी भुगतान संबंधी समस्या नहीं होगी। इसके लिए सी.बी.एस.ई. ने भी तकनीक का उपयोग किया है।
नई शिक्षा नीति पर संबोधित करते हुए उन्होनें कहा कि शिक्षा का पहला और अंतिम उद्देश्य होना चाहिए कि वह बच्चों को एक उच्च कोटि का इंसान बनावे। जो कि अपना भरण-पोषण करने में सक्षम हो और साथ ही समाज का भी भरण पोषण कर सके। द्वितीय विश्वयुद्ध में हिटलर ने शिक्षित युवा, डॉक्टर, इंजीनियर का प्रयोग कर यहूदियों का नरसंहार किया था जब यह प्रश्न उठा था कि यदि शिक्षित लोग मानवता का ही संहार करेंगे तो ऐसी शिक्षा से क्या फायदा। उन्होंने आगे कहा कि आज भी भारत में 26 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं । एक ऐसी शिक्षा नीति की आवश्यकता महसूस की गई कि बच्चे शिक्षित होकर मानवता को प्रहरी बने, मानवता के विकास में योगदान करें, स्वयं सक्षम होकर भूख, गरीबी, विवशता से मुक्त भारत बनावे। अपनों ने साथ-साथ समाज को भी स्वावलंबी बनावंे। भय, भूख, भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र हो। इसीलिए इसकी नींव सन 1936 में वदर्धा में जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में गांधी जी के आह्वान पर नीव रखी गई। फिर 1948 का डॉ0 राधाकृष्णन कमिशन 1964 का कोठारी आयोग 1968 एवं 1986 की नई शिक्षा नीति सभी का जोर इसी बात पर था कि बच्चों का शारीरिक, नैतिक एवं चारित्रिक विकास हो, साथ ही वे स्वयं उत्पादक बने, स्वावलंबी बने। उनमें रचनात्मक, अन्वेषण की दृष्टि विकसित हो। इन सभी विचारों के आलोक में यह नई शिक्षा नीति 2020 लाई गई है। इसके सफल कार्यान्वयन से निश्चित ही भारत में गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा दूर होगी। एक नया सफल स्वाबलंबी भारत बनेगा। भारत ज्ञान-विज्ञान, अनुसंधान का सिरमौर होगा। भारतीय रोजगार उत्पादन करेंगे ना कि रोजगार की खोज करेंगे।
प्रतिभा को सम्मान देने चिन्मय विद्यालय पहुंचे रीजनल ऑफिसर अरविंद कुमार मिश्रा ने चिन्मय विद्यालय के स्वामी तेजोमयानंद सभागार में 40 विद्यार्थियों को सी.बी.एस.ई 2023 की परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया। यह सम्मानित छात्र 2023 की सीबीएसई माध्यमिक परीक्षा में 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। अरविंद कुमार मिश्रा से सम्मानित होने पर बच्चै ने गौरवान्वित महसुस किया और कहा कि बारहवीं की परिक्षा में भी कठिन प्ररिश्रम कर विद्यालय सहित राज्य का भी नाम रौशन करेगें.