राजा दशरथ ने जब श्रीराम जी का राज्याभिषेक करने का निश्चय किया तब अवध में उत्सव की तैयारियाँ होने लगीं। घर घर मंगल साज सजाए…
View More आज अवध में बधावन बाजै ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रAuthor: admin
खेलैबो ललना दशरथ जी के अँगना…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक युवती ने जब सुना कि राजा दशरथ के घर चार सुन्दर बालकों ने जन्म लिया है तो उसके मन में उन बालकों को देखने…
View More खेलैबो ललना दशरथ जी के अँगना…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभैलें प्रगट रघुरैया अवध में बाजे बधैया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्री राम के प्राकट्य दिवस पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना बधाई गीत के रूप में :—- भैलें प्रगट रघुरैया अवध में बाजे बधैया…
View More भैलें प्रगट रघुरैया अवध में बाजे बधैया….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम बनवाँ में आए सुनोरी सजनी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम को वन में देख कर वनवासी स्त्रियाँ आपस में वार्ता कर रहीं हैं और कहतीं हैं कि हे सखी हम तो कुदेश (बुरे…
View More राम बनवाँ में आए सुनोरी सजनी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रनहीं चाह पैसों की नाहीं प्रतीष्ठा…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आजकल लोग पैसों के पीछे भाग रहे हैं जिससे रिश्ते नाते पीछे छूट रहे हैं, इस विषय पर मैने अपना भाव प्रकट किया है अपनी…
View More नहीं चाह पैसों की नाहीं प्रतीष्ठा…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमोहे राखहु नाथ शरन में…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शरणागत भजन के रूप में प्रस्तुत है मेरी ये रचना :——- मोहे राखहु नाथ शरन में । ममता मोह में भूल गयो प्रभू , मन…
View More मोहे राखहु नाथ शरन में…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रश्री गंगा स्तुति…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
श्री गंगा स्तुति —– नमामि नमामि नमन मातु गंगे । विष्णु चरण से निकलि मातु गंगे, महेश्वर जटा में उलझि मातु गंगे । नमामि नमामि…
View More श्री गंगा स्तुति…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रअवध के लोगवा, देत है गारी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु श्रीराम के वनवास से अयोध्यावासी बहुत व्याकुल होकर कैकेई को गाली दे रहे हैं और कहते हैं कि इस दुर्बुद्धि कैकेई ने राम को…
View More अवध के लोगवा, देत है गारी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रलागै न जियरा हमार हो…- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भगवान श्रीकृष्ण गोकुल छोड़ कर चले गए हैं और इधर राधा जी कृष्ण विरह में व्याकुल विलाप कर रहीं हैं। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है…
View More लागै न जियरा हमार हो…- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रब्रह्मेश्वर के दोहे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
ब्रह्मेश्वर के दोहे—– जबसे प्रभु में नेह लगी, छूटे माया मोह । काया निर्मल हो गई, रहा न क्रोध न द्रोह ।। नहिं मोहे चाह…
View More ब्रह्मेश्वर के दोहे…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र