बाल श्रम का ज़हर: आँकड़ों की चुप्पी, प्रशासन की मौनस्वीकार्यता

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’      भारत में बाल श्रम को लेकर जितनी संवेदनशील बातें होती हैं, ज़मीनी सच्चाई उससे उतनी ही क्रूर है।…

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तीन दशक की चुप्पी : संस्कार और संवाद की खोज में बोकारो

सदियों पुरानी नीति रही है — किसी देश या प्रदेश को यदि कमज़ोर करना हो, तो सबसे पहले उसकी संस्कृति पर प्रहार करो। उसकी कला,…

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रहस्यमय रिश्ता… — डॉ. प्रशान्त करण

आज अजीब वाकिया हुआ। तड़के सुबह रवि बाबू अपनी फटफटिया से मुझे साथ लेकर रामलाल जी के यहाँ पहुँच गए। दस मिनट तक साँकल बजाने…

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बोकारो में संस्कृति की वापसी : एक उपायुक्त की साहित्यिक चेतना और कलाकारों की आशा

संपादकीय: — पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’ बोकारो जिला लंबे समय से केवल उद्योग और उत्पादन का परिचय बनकर रह गया था। इस शहर की पहचान लौह…

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जनप्रतिनिधित्व की साख पर सवाल: श्वेता सिंह प्रकरण और लोकतंत्र की परीक्षा

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘  किसी भी लोकतंत्र की रीढ़ उसकी पारदर्शी और जवाबदेह राजनीतिक व्यवस्था होती है। और जब वही व्यवस्था सवालों के…

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कुछ दिल कि बातें कर लूँ …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

कुछ दिल कि बातें कर लूँ :– आए हो तो बैठो , कुछ दिल कि बातें कर लूँ । कुछ सुनाउँ अपनी , कुछ तुम्हारि…

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क्यूँ रूठ गए प्रियतम…- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

क्यूँ रूठ गए प्रियतम:– क्यूँ रूठ गए प्रियतम, अब मान भी जाओ ना । क्या खता है आखिर मेरी, कुछ भी तो बताओ ना ।।…

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राम मोरे आ जाओ ….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

शबरी प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा कैसे करती थी यही मेरी इस रचना में दर्शाया गया है :– राम मोरे आ जाओ । दर्शन के प्यासे…

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भजले नाम उदार…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

भजले नाम उदार– दुर्लभ पावन नर तन पाया, जनम अकारथ यूँहिं गंवाया। अन्त समय जब आया बन्दे, सिर धुनि धुनि पछताया। जो भी कछु पल…

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तीखी कूटनीति : आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक हुंकार

सम्पादकीय – पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘    ‘ऑपरेशन ‘सिन्दूर ‘ के बाद हमें इस समय की बदलती रणनीति को गंभीरता से समझना चाहिए। भारत अब…

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