रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की करारी हार के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के सभी बड़े नेताओं को दिल्ली तलब किया है। 3 दिसंबर को होने वाली इस बैठक में विधानसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा की जाएगी और नेता प्रतिपक्ष समेत अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसला लिया जा सकता है।
इस बार के चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में भारी गिरावट दर्ज की गई। 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के 25 विधायक निर्वाचित हुए थे, जबकि इस बार संख्या घटकर 21 रह गई। नेता प्रतिपक्ष और कई अन्य बड़े नेता इस चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं। चुनावी रणनीति के तहत जेएमएम और कांग्रेस से आए नेता जैसे सीता सोरेन और गीता कोड़ा को शामिल किया गया था, लेकिन वे भी चुनाव हार गईं।
बीजेपी ने चुनाव के दौरान कोल्हान और संथाल में जेएमएम के गढ़ को तोड़ने की कोशिश की। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को पार्टी में शामिल कर उम्मीद की गई थी कि वे इन इलाकों में प्रभावी भूमिका निभाएंगे। हालांकि, चंपाई सोरेन खुद चुनाव जीतने में सफल रहे, लेकिन उनके बेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला सीट से हार गए। इसी तरह, पोटका से चुनाव लड़ रहीं अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा भी हार का सामना करना पड़ा।
बीजेपी की रणनीति हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की मजबूत पकड़ के आगे कमजोर साबित हुई। हेमंत सोरेन की लोकप्रियता और उनकी सरकार की योजनाओं ने बीजेपी के खिलाफ माहौल बना दिया।
केंद्रीय नेतृत्व अब नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति पर विचार कर रहा है। 2019 में जब रघुवर दास चुनाव हार गए थे, तो बाबूलाल मरांडी को पार्टी में शामिल किया गया और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि, तकनीकी कारणों से वे नेता प्रतिपक्ष नहीं बन सके। अमर बाउरी को इस पद पर नियुक्त किया गया, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कमजोर स्थिति के बाद नए नेता को लेकर चर्चा तेज है।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि 2029 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय नेतृत्व नए नेता का चयन करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी किसी युवा और प्रभावशाली चेहरे को आगे लाएगी या किसी अनुभवी नेता पर दांव लगाएगी। फिलहाल, सभी की नजरें 3 दिसंबर की बैठक पर टिकी हैं।