छठ गीत मेरी कलम से। सभी व्रतियों को छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ ! दर्शन दिहीं ना छठिय मैया, सेवका खड़ा है तोहरे द्वार ।…
View More दर्शन दिहीं ना छठिय मैया…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
बंशी बाजि रही मधुवन में…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कृष्ण की बाँसुरी की धुन राधा को इतनी प्रिय थी कि राधा सुध बुध खो देती थी l इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है आज की…
View More बंशी बाजि रही मधुवन में…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहरो विकल मनवाँ की पीर ……..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
‘राधा’ को बड़ सोच हृदय में, साँवरे आए न म्हारे। सीता बैठि अशोक-वाटिका, प्रियतम ‘राम’ पुकारे॥१॥ निष्ठुर बने ‘कृष्ण ‘रघुवीरा’, हरें न विकल प्रिया मन…
View More हरो विकल मनवाँ की पीर ……..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहरि बोल हरि बोल…..…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
हरि बोल हरि बोल प्राणी रे , चार दिन कि जिन्दगानी । दुनिया में आकर प्रभू को भुलाया , प्रभु के भजन में तु मन…
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प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी रचना:—– ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी । काम क्रोध मद में, उमरिया बितायो प्रभु जी,…
View More ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम मोरे आ जाओ…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शबरी प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा कैसे करती थी यही मेरी इस रचना में दर्शाया गया है :—- राम मोरे आ जाओ । दर्शन के प्यासे…
View More राम मोरे आ जाओ…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रओहिजे महल बनाईं रघुबीर….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भगवान राम बाल्मीकि आश्रम मे बाल्मीकि मुनी के दर्शन के पश्चात उनसे विदा माँगी और कहा कि मुझे वैसा स्थान बतलाईये जहाँ मैं कुछ दिन…
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प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने प्रभु के चरण कमल की वन्दना की है :—- भजले चरन कमल रघुराई । जेहि चरनन से सुरसरि…
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जब जब धर्म की हानी होती है और पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है तब तब प्रभु विभिन्न शरीर धारण कर अवतार लेते हैं और दुष्टों…
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प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी यह रचना:—– संकट से कौन उबारे, तुम बिन रघुनन्दन प्यारे । मेरि नाव पड़ी है भवँर में,…
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