‘राधा’ को बड़ सोच हृदय में, साँवरे आए न म्हारे। सीता बैठि अशोक-वाटिका, प्रियतम ‘राम’ पुकारे॥१॥ निष्ठुर बने ‘कृष्ण ‘रघुवीरा’, हरें न विकल प्रिया मन…
View More हरो विकल मनवाँ की पीर ……..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
हरि बोल हरि बोल…..…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
हरि बोल हरि बोल प्राणी रे , चार दिन कि जिन्दगानी । दुनिया में आकर प्रभू को भुलाया , प्रभु के भजन में तु मन…
View More हरि बोल हरि बोल…..…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी रचना:—– ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी । काम क्रोध मद में, उमरिया बितायो प्रभु जी,…
View More ओ हरी जी! कब लोगे खबर हमारी…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रराम मोरे आ जाओ…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
शबरी प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा कैसे करती थी यही मेरी इस रचना में दर्शाया गया है :—- राम मोरे आ जाओ । दर्शन के प्यासे…
View More राम मोरे आ जाओ…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रओहिजे महल बनाईं रघुबीर….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
भगवान राम बाल्मीकि आश्रम मे बाल्मीकि मुनी के दर्शन के पश्चात उनसे विदा माँगी और कहा कि मुझे वैसा स्थान बतलाईये जहाँ मैं कुछ दिन…
View More ओहिजे महल बनाईं रघुबीर….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभजले चरन कमल रघुराई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने प्रभु के चरण कमल की वन्दना की है :—- भजले चरन कमल रघुराई । जेहि चरनन से सुरसरि…
View More भजले चरन कमल रघुराई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजब जब होय धरम के हानी…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब जब धर्म की हानी होती है और पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है तब तब प्रभु विभिन्न शरीर धारण कर अवतार लेते हैं और दुष्टों…
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प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी यह रचना:—– संकट से कौन उबारे, तुम बिन रघुनन्दन प्यारे । मेरि नाव पड़ी है भवँर में,…
View More संकट से कौन उबारे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रचम चम चमके री चन्दनियाँ…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
बालक राम आँगन में खेल रहे हैं, रात्रि का आगमन हो चुका है, चन्द्रमा उदय ले लिये हैं, चन्द्रमा की चान्दनी आँगन में फैली हुई…
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प्रस्तुत है मेरी रचना जिसमें राम नाम की महत्ता को दर्शाया गया है :——- भजले नाम राम रघुबीरा । सुमिरत नाम सुमति चलि आवै, मिटै…
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