क्यूँ न आए प्रभू मैं बुलाता रहा….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना जिसमें एक भक्त की आर्त पुकार को दर्शाया गया है :—– क्यूँ न आए प्रभू…

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दुलहा साँवली सुरतीया सुहावन लागै हो …..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम विवाह मंडप में हैं और सखियाँ उनकी शोभा का वर्णन कर रही हैं। कहतीं हैं कि हे साँवरे! तुम्हारी सुहावनी साँवली सूरत और…

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अँगना में तुलसी लगैबो…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है तुलसी विवाह पर मेरी ये रचना:—- अँगना में तुलसी लगैबो, हरि जी को बुलैबो । कार्तिक मास शुकल पख पावन, एकादश तिथि अति…

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जय जय जय गणराजाधिराज…..-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है गणेश जी पर लिखी गई मेरी ये रचना :—– जय जय जय गणराजाधिराज । जय हो जय गणराजाधिराज । शंकर सुवन गौरि के…

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बिराजो मन मन्दिर रघुबीर……-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

जब श्री रघुबीर जी मन मन्दिर में विराजमान होगें तो फिर किस लिए मन्दिर मन्दिर तीर्थ तीर्थ भटकना ? हे प्राणी तू मन को ही…

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मोह जनित अज्ञान…..- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

मोह जनित अज्ञान ते, मानव मन कलुषाय । मत्सरता की आग में, पल पल जरता जाय ।। मानव मन में मैल जमी है, उर अँधियारा…

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बोलो जी भैया हरी हरी…..- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी पहली रचना । इसे मैने 2012 में लिखा था :—– बोलो जी भैया हरी हरी । तू राम नाम जप घरी घरी…

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चरन तुम्हारे पावन रघुबर…..- ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु के दर्शन के लिए भक्त की व्याकुलता को दर्शाती प्रस्तुत है मेरी यह रचना:—– चरन तुम्हारे पावन रघुबर, दर्शन को हैं प्यासे नैना ।…

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लगा लो जै श्रीराम का नारा….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें राम नाम के महत्व को दर्शाया गया है :—– लगा लो जै श्रीराम का नारा । राम नाम एक…

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सुन रे नर मैं तो रहूँ सदा….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु तो सबके हृदय में हीं निवास करते हैं पर मनुष्य ममता मोह में फंसे होने के कारण उन्हें देख नहीं पाता और मंदिर मंदिर…

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