प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना जिसमें एक भक्त की आर्त पुकार को दर्शाया गया है :—–
क्यूँ न आए प्रभू मैं बुलाता रहा ।
क्या हुई चूक मुझसे न आए प्रभू ,
क्या हुई भूल मुझसे भुलाए प्रभू ,
मैं तो सपनों कि दुनिया बसाता रहा ।
क्यूँ न आए प्रभू……………
मेरि अँखियाँ अहर्निश तुम्हें खोजतीं ,
पथ में पलकें बिछाए तुम्हें जोहतीं ,
मैं तो स्वागत में दीपक जलाता रहा ।
क्यूँ न आए प्रभू……………
मैं हूँ दीन दुखी तुम हो दीनों के नाथ ,
अब तो आया शरन तेरि करदो सनाथ ,
अब ये बिरहा का दुख नाहिं जाता सहा ।
क्यूँ न आए प्रभू………….
रचनाकार :
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र