हरि ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओम, हरि ओम हरि ओम हरि ओम हरि ओम । शिव के डमरू से निकल रहा, हरि ओम…
View More हरि ओम हरि ओम……..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
सजनवाँ का लेके जइब नइहरवा………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जीव ईश्वर की दुनिया से इस दुनिया में आता है और शरीर धारण करता है जिसमें सबसे उत्तम शरीर मनुष्य का होता है। जिस दुनिया…
View More सजनवाँ का लेके जइब नइहरवा………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रभजन चित लाइ करूँ जी प्रभु……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
मनुष्य प्रभु को यत्र तत्र खोजते चलता है पर अपने अंतःकरण में झाँक कर नहीं देखता फिर भगवान मिलेगें कैसे ? प्रभु तो मनुष्य के…
View More भजन चित लाइ करूँ जी प्रभु……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रकरम गति टारे नाहिं टरे ………..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
कर्म की गति टाले नहीं टल सकती। प्रभु बिरले किसी को मनुष्य शरीर देते हैं पर इस संसार में आकर मनुष्य प्रभु को भूल कर…
View More करम गति टारे नाहिं टरे ………..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतेरी लीला अपरम्पार प्रभू………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु की लीला अपरम्पार है। प्रभु के कुछ अलौकिक लीला का चित्रण मेरी इस रचना के माध्यम से प्रस्तुत है :— तेरी लीला अपरम्पार प्रभू…
View More तेरी लीला अपरम्पार प्रभू………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रप्रभु राम हमारे घर आए………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
अगर मैं कहूँ कि प्रभु राम हमारे घर आए तो इस पर कोई विश्वास नहीं करेगा क्योंकि मैं तो एक अधम नीच प्राणी हूँ मेरे…
View More प्रभु राम हमारे घर आए………….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमैं देखूँ जिस ओर प्रभू जी……… ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:— मैं देखूँ जिस ओर प्रभू जी , सामने तेरी सूरतिया । मुख पर तेरा नाम…
View More मैं देखूँ जिस ओर प्रभू जी……… ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसंकट से कौन उबारे….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:— संकट से कौन उबारे, तुम बिन रघुनन्दन प्यारे । मेरि नाव पड़ी है भवँर में,…
View More संकट से कौन उबारे….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रमैं तेरा पुकारूँ नाम हे स्वामी….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:— मैं तेरा पुकारूँ नाम हे स्वामी, कब आओगे राम । काम क्रोध मद लोभ के…
View More मैं तेरा पुकारूँ नाम हे स्वामी….. ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररे मूरख ब्यर्थहिं जनम गवाँयो …….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
बड़ी भाग्य से किसी को मानव शरीर मिलता है पर संसार में आकर मनुष्य प्रभु को भुला देता है और काम क्रोध मद लोभ मोह…
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