प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी ये रचना:—
संकट से कौन उबारे,
तुम बिन रघुनन्दन प्यारे ।
मेरि नाव पड़ी है भवँर में,
मैं लटक रहा हूँ अधर में,
अब कौन लगाए किनारे ।
तुम बिन रघुनन्दन प्यारे ।
संकट से कौन………..
जब से इस जग में आया,
ममता में रहा भुलाया,
बन्धन पड़ गए हजारे ।
तुम बिन रघुनन्दन प्यारे ।
संकट से कौन………..
बड़ि भाग्य मनुज तन पाया,
पा कर इसे ब्यर्थ गवाँया,
भवसागर कौन उतारे ।
तुम बिन रघुनन्दन प्यारे ।
संकट से कौन………..
प्रभु अन्त समय जब आया,
सिर धुनि धुनि कर पछताया,
अब कोइ नहीं रखवारे ।
तुम बिन रघुनन्दन प्यारे ।
संकट से कौन………..
अब कृपा करो रघुराई,
अब राखो चरन लगाई,
‘ब्रह्मेश्वर’ शरन तुम्हारे ।
तुम बिन रघुनन्दन प्यारे ।
संकट से कौन………..
रचनाकार
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र