भगवान राम बाल्मीकि आश्रम मे बाल्मीकि मुनी के दर्शन के पश्चात उनसे विदा माँगी और कहा कि मुझे वैसा स्थान बतलाईये जहाँ मैं कुछ दिन…
View More ओहिजे महल बनाईं रघुबीर….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रCategory: DHARM
भजले चरन कमल रघुराई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना जिसमें मैने प्रभु के चरण कमल की वन्दना की है :—- भजले चरन कमल रघुराई । जेहि चरनन से सुरसरि…
View More भजले चरन कमल रघुराई…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रजब जब होय धरम के हानी…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
जब जब धर्म की हानी होती है और पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है तब तब प्रभु विभिन्न शरीर धारण कर अवतार लेते हैं और दुष्टों…
View More जब जब होय धरम के हानी…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसंकट से कौन उबारे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है शरणागत भजन के रूप में मेरी यह रचना:—– संकट से कौन उबारे, तुम बिन रघुनन्दन प्यारे । मेरि नाव पड़ी है भवँर में,…
View More संकट से कौन उबारे…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रचम चम चमके री चन्दनियाँ…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
बालक राम आँगन में खेल रहे हैं, रात्रि का आगमन हो चुका है, चन्द्रमा उदय ले लिये हैं, चन्द्रमा की चान्दनी आँगन में फैली हुई…
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प्रस्तुत है मेरी रचना जिसमें राम नाम की महत्ता को दर्शाया गया है :——- भजले नाम राम रघुबीरा । सुमिरत नाम सुमति चलि आवै, मिटै…
View More भजले नाम राम रघुबीरा…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रतेरी दासी पड़ी है तेरे द्वार…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
एक दासी की करुण पुकार मेरी इस रचना के माध्यम से:—- तेरी दासी पड़ी है तेरे द्वार, सँवरिया फेरो नजरिया । मैं तो प्रभू तेरी…
View More तेरी दासी पड़ी है तेरे द्वार…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रसमस्त चराचर जगत ही राममय है…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
समस्त चराचर जगत ही राममय है- मैने समस्त चराचर जगत को राममय देखा । मैने पवित्र कामधेनु में राम को देखा , मैने गंदी नाली…
View More समस्त चराचर जगत ही राममय है…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्ररँगाली मैने चुनरी साँवरिया तोरे रंग में…….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रभु के रंग में जो रंग गया वो भवसागर पार उतर गया।। इसी प्रसंग पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना :—– रँगाली मैने चुनरी साँवरिया…
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प्रभु श्रीराम गंगा पार उतरना चाह रहे हैं पर केंवट नाव नहीं ला रहा है, कहता है कि हे प्रभु जब तक चरण नहीं धुलाइएगा…
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