—: होली के दोहे :—- बरसे रंग चुनर भइ गीली , राधा मोहन खेलत होली । बरसाने में बरसत रंग , मोहन खेलत राधा संग…
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श्याम रंगि गयो सजनी मोर धानि चुनरी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
राधा जी सखियों से कहती हैं कि हे सखी कान्हा छुप कर के आया और मेरी चुनरी रंग गया। जब मैं पनिघट पर जल भरने…
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—- होली गीत :—– देखो खेलत हैं रघुनाथ अवध में होली । एक ओरि खेलत भरत मांडवी , एक ओरि सिय रघुनाथ। होली। देखो खेलत…
View More देखो खेलत हैं रघुनाथ अवध में होली…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रहोली का हुड़दंग मचा है…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
होली के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है मेरी ये रचना होली गीत :—– होली का हुड़दंग मचा है , बरसाने में शोर है । रंग…
View More होली का हुड़दंग मचा है…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रअवध की होली….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
होली की अनन्त शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मेरी ये रचना “अवध की होली”– सिया संग होली खेलत श्री राम । भरत मांडवी लखन उरमिला,…
View More अवध की होली….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रबिरज में खेलत फाग मुरारी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
प्रस्तुत है मेरी ये रचना राधा कृष्ण की होली :—— बिरज में खेलत फाग मुरारी । राधा ललिता अरु बृज बनिता , मारत रंग पिचकारी…
View More बिरज में खेलत फाग मुरारी….-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्रघर अइलन हो बलमुआँ खेलब होरी…-ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आज होली के अवसर पर भक्ति रस से हट कर प्रेम रस की ओर आप सभी को ले चल रहा हूँ। एक युवती का पती…
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प्रस्तुत है मेरी ये रचना राधा कृष्ण की होली :——- बेदर्दी ना माने रे , मोहे बरबस रंग लगाए । भींगत मोरी चुनरी चोली ,…
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प्रस्तुत है मेरी ये रचना होली गीत :——- कन्हैया संग होली खेलो री सखी । मलि मलि गाल गुलाल लगाओ , भरि पिचकारी रंग बरसाओ…
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एक स्त्री का पती परदेश में है। वह होली के अवसर पर अपने प्रियतम के आने की प्रतीक्षा कर रही है और ज्यों ज्यों होली…
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