आज़ादी की हद या हद से ज़्यादा आज़ादी?

– Purnendu pusspesh    आजकल दुनिया बदल चुकी है। पहले लोग सुबह उठकर अखबार की सुर्खियाँ पढ़ते थे, आज जागते ही मोबाइल उठाते हैं और…

View More आज़ादी की हद या हद से ज़्यादा आज़ादी?

क्या ममता बनर्जी का राजनीतिक अंत शुरू हो चुका है?

– पूर्णेन्दु पुष्पेश पश्चिम बंगाल की राजनीति फिर एक निर्णायक मोड़ पर है। यह वही राज्य है जिसने कभी वाम दलों को लगातार 34 वर्षों…

View More क्या ममता बनर्जी का राजनीतिक अंत शुरू हो चुका है?

असफलता पराजय नहीं है -यह समझना आवश्यक है

– पूर्णेन्दु ‘पुष्पेश’ आज पचपन वर्ष की उम्र पार करने के बाद यह बात जितनी स्पष्ट और गहरी समझ में आती है, काश उतनी ही…

View More असफलता पराजय नहीं है -यह समझना आवश्यक है

यह समय राष्ट्रवाद-जाप का नहीं -मुखर राष्ट्रवाद का है

Not a Time to Whisper Patriotism; But to Declare Vocal Nationalism – Purnendu Pusspesh (Editor)   राष्ट्र चिंतन से राष्ट्र निर्माण तक -यह केवल एक…

View More यह समय राष्ट्रवाद-जाप का नहीं -मुखर राष्ट्रवाद का है

बीबीडी बैग प्रोफेशनल एसोसिएशन ने नए पदाधिकारियों का किया ऐलान, सीए संजीब सांघी बने अध्यक्ष

कोलकाता : कोलकाता के वित्त और कानूनी पेशेवरों के अग्रणी निकाय बीबीडी बैग प्रोफेशनल एसोसिएशन की चौथी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) 21 सितंबर 2025 को…

View More बीबीडी बैग प्रोफेशनल एसोसिएशन ने नए पदाधिकारियों का किया ऐलान, सीए संजीब सांघी बने अध्यक्ष

राहुल गांधी की राजनीति पर सवाल: युवाओं को भटकाने की कोशिश या लोकतंत्र की चुनौती?

– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘    भारतीय राजनीति में विवाद, आरोप-प्रत्यारोप और वैचारिक टकराव कोई नई बात नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह सब सामान्य…

View More राहुल गांधी की राजनीति पर सवाल: युवाओं को भटकाने की कोशिश या लोकतंत्र की चुनौती?

क्यों अमेरिका भारत से भयभीत है?

– पूर्णेन्दु ‘पुष्पेश ‘ विश्व राजनीति के इतिहास में अमेरिका लंबे समय तक एकमात्र शक्ति केंद्र माना जाता रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद…

View More क्यों अमेरिका भारत से भयभीत है?

आपातकाल: अतीत की छाया और वर्तमान की चेतावनी

Article by Purnendu Sinha Pushpesh भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 26 जून 1975 एक ऐसा दिन है जिसे अनदेखा करना भूल होगी और भुला देना…

View More आपातकाल: अतीत की छाया और वर्तमान की चेतावनी

‘उमेद’ (भोजपुरी कविता) — पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’

‘उमेद’(भोजपुरी कविता) ई आखिर कवन चीज़ के — तोर-मोर?केकरा से — तोर-मोर?! एक्के अंगना में खेललऽ,एक्के अंगना में पललऽ,सनातन से इहे माटी में बढ़लऽ!आ आज…

View More ‘उमेद’ (भोजपुरी कविता) — पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश’

भारत की आज़ादी में झारखंड क्षेत्र का योगदान : क्रांति की धरती से स्वाधीनता की राह तक

जब हम भारत की स्वतंत्रता की गाथा को पढ़ते हैं, तो हमारे सामने दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, और लाहौर जैसे बड़े शहरों की तस्वीरें उभरती हैं।…

View More भारत की आज़ादी में झारखंड क्षेत्र का योगदान : क्रांति की धरती से स्वाधीनता की राह तक