हे राम राघव दीनबंधू……….ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रभु श्रीराम से मेरी विनती जिसे मैने छन्द में लिखी है :— हे राम राघव दीनबंधू, दया के भंडार हो । हे कृपालू हे दयालू,…

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सखी हो बसहा पर हो के सवार हो………..ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

सखियाँ शिव जी का बारात देखने पहुँचीं। देखतीं हैं कि दुल्हा तो बसहा बैल पर सवार होकर व्याह करने आया है। इस विचित्र दुल्हे को…

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बोलो भाइ ओम नमः शिवाय………ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र

प्रस्तुत है शिव जी पर लिखी मेरी ये रचना जिसमें शिव जी के कुछ निरालेपन का वर्णन किया गया है :—– बोलो भाइ ओम नमः…

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