– पूर्णेन्दु ‘पुष्पेश ‘ विश्व राजनीति के इतिहास में अमेरिका लंबे समय तक एकमात्र शक्ति केंद्र माना जाता रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद…
View More क्यों अमेरिका भारत से भयभीत है?Category: VIEWS
‘अतीत से सीखो, वर्तमान को जियो’-अतीत की भूलों से सबक लेकर बनेगा सशक्त भारत
– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ (स्वतंत्रता दिवस विशेष ) आज़ाद भारत की कहानी जितनी प्रेरक है, उतनी ही पेचीदा भी। जब 15 अगस्त 1947 को…
View More ‘अतीत से सीखो, वर्तमान को जियो’-अतीत की भूलों से सबक लेकर बनेगा सशक्त भारतआपातकाल: अतीत की छाया और वर्तमान की चेतावनी
Article by Purnendu Sinha Pushpesh भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 26 जून 1975 एक ऐसा दिन है जिसे अनदेखा करना भूल होगी और भुला देना…
View More आपातकाल: अतीत की छाया और वर्तमान की चेतावनीझारखंड में पत्रकारों की पेंशन योजना: वादों से आगे कब बढ़ेगी सरकार?
– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ बिहार सरकार द्वारा हाल ही में पत्रकारों की पेंशन राशि को ₹6,000 से बढ़ाकर ₹15,000 किए जाने और उनके निधन…
View More झारखंड में पत्रकारों की पेंशन योजना: वादों से आगे कब बढ़ेगी सरकार?झारखंड के सरकारी अस्पतालों से क्यों कतराते हैं युवा डॉक्टर?
सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ झारखंड जैसे राज्य के लिए यह विडंबना ही कही जाएगी कि जहां एक ओर ग्रामीण और आदिवासी बहुल क्षेत्रों…
View More झारखंड के सरकारी अस्पतालों से क्यों कतराते हैं युवा डॉक्टर?तीन दशक की चुप्पी : संस्कार और संवाद की खोज में बोकारो
सदियों पुरानी नीति रही है — किसी देश या प्रदेश को यदि कमज़ोर करना हो, तो सबसे पहले उसकी संस्कृति पर प्रहार करो। उसकी कला,…
View More तीन दशक की चुप्पी : संस्कार और संवाद की खोज में बोकारोदेशहित से पृथक विपक्ष: एक सुनियोजित आत्मविनाश
सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ अजीब दौर है देश का — एक तरफ भारत दुनिया को अपनी सैन्य क्षमता और कूटनीतिक समझ से अचंभित…
View More देशहित से पृथक विपक्ष: एक सुनियोजित आत्मविनाशथोड़ा “ज़िंदगी जीने की क्लास” भी ज़रूरी है
सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ चलिए, सीधी बात करते हैं — हम सबने स्कूल और कॉलेज में खूब पढ़ाई की है। गणित में पसीना…
View More थोड़ा “ज़िंदगी जीने की क्लास” भी ज़रूरी हैपाकिस्तान, अब तो अपनी ब्लैक मनी को काम में ले ही लो!
-पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ एक ख्याल आया और मुस्कान छूट गई। फिर सोचा — हँसी में टाल देने जैसी भी नहीं है यह बात।…
View More पाकिस्तान, अब तो अपनी ब्लैक मनी को काम में ले ही लो!चित्रगुप्त से कही गयी गौरैया पीड़ा कथा -डॉ प्रशान्त करण
चित्रगुप्त जी को अपनी नींद और अपना ऐशोआराम बड़ा प्रिय था। इससे उनके अहंकार का पौधा वटवृक्ष बन खूब फैलने लगा था। परिवारवाद ने यह…
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